________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्रं : शतकं 14 :: उद्देशकः 10 ] [ 465 भासेज वा वागरेज वा 5 / जहा णं भंते ! केवली भासेज वा वागरेज वा तहा णं सिद्धेवि भासेज वा वागरेज वा ?, णो तिण? सम? 6 / से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ जहा णं केवली णं भासेज वा वागरेज वा णो तहा णं सिद्धे भासेज वा वागरेज वा ?, गोयमा ! केवली णं सउट्टाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसकार परकमे, सिद्धे णं अणुट्ठाणे जाव अपुरिसकार-परक्कमे, से तेणढे णं जाव वागरेज वा 7 / केवली णं भंते ! उम्मिसेज वा निमिसेज वा ?, हंता उम्मिसेज वा निम्मिसेज वा एवं चेव, एवं बाउटेज वा पसारेज वा, एवं ठाणं वा सेज्ज वा निसीहियं वा चेएजा 8 / केवली णं भंते ! इमं रयणप्पभं पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणति पासति?, हंता जाणइ पासइ 1 / जहा णं भंते ! केवली इमं रयणप्पमं पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणइ पासइ तहा णं सिद्धेवि इमं रयणप्पभं पुढविं रयणप्पभपुढवीति जाणइ पासइ ?,हंता जाणइ पासइ 10 / केवली णं भंते ! सकरप्पभं पुढवि सकरपभापुढवीति जाणइ पासइ ?, एवं चेव एवं जाव अहेसत्तमा 11 केवली णं भंते ! सोहम्मं कप्पं जाणइ पासइ ?, हंता जाणइ पासइ, एवं चैव, एवं ईसाणं एवं जाव श्रव्चुयं 12 / केवली णं भंते ! गेवेजविमाणे गेवेजविमाणेत्ति जाणइ पासइ ?, एवं चेव, एवं अणुत्तरविमाणेवि 13 / फेवली णं भंते ! ईसिपब्भारं पुढवि ईसीपब्भारपुढवीति जाणइ पासइ ?, एव चेव 14 / केवली णं भंते ! परमाणुपोग्गलं परमाणुपोग्गलेत्ति जाणइ पासइ ?, एवं चेव 15 / एवं दुपएसियं खधं एवं जाव जहा णं भंते ! केवली अणंतपएसियं खंधं अणंतपएसिए खंधेत्ति जाणइ पासइ तहा णं सिद्धेवि अणंतपएसियं जार पासइ ?, हंता जाणइ पासइ 16 / सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव विहरति 17 / / सूत्रं 538 // चोदसमं सयं समत्तं // // इति चतुर्दशमं शतकम् // 14 //