________________ श्रीमद्व्याख्याप्रज्ञप्ति (श्रीमद्भगवति) सूत्र :: शतकं 25 : उद्देशका 6 ] [ 745 उदइए णामे ?, उदइए णामे दुविहे पराणत्ते, तंजहा-उदए य उदयनिष्फन्ने य 2 / एवं जहा सत्तरसमसए पढमे उद्देसए भावो तहेव इहवि, नवरं इम(नाम) णाणत्तं सेसं तहेव जाव सन्निवाइए 3 / सेवं भंते ! 2 तिजाव विहरइ 4 / सूत्रं 750 // 25-5 // // अथ पञ्चविंशतितमशतके षष्ठनिर्ग्रन्थोहकः // - पनवण 1 वेद 2 रागे 3 कप्प 4 चरित्त 5 पडिसेवणा 6 गाणे 7 / तित्थे - लिंग-१ सरीरे 10 खेत्ते 11 काल 12 गइ 13 संजम 14 निगासे 15 // 1 // जोगु 16 वयोग 17 कसाए 18 लेसा 11 परिणाम 20 बंध 21 वेदे य 22 / कम्मोदीरण 23 उपसंपजहन्न 24 सन्ना य 25 श्राहारे 26 // 2 // भव 27 प्रागरिसे 28 कालं 21 तरे य 30 समुग्घाय. 31 खेत्त 32 फुसणा य 33 / भावे 34 परिमाणे 35 वि य अप्पाबहुयं 36 नियंठाणं // 3 // रायगिहे जाव एवं वयासी-कति णं भंते ! णियंठा पन्नत्ता ?, गोयमा ! पंच णियंठा पनत्ता, तंजहा-पुलाए बउसे कुसीले णियठे सिणाए 1 / पुलाए णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते ?, गोयमा ! पंचविहे पगणत्ते, तंजहानाणपुलाए दंसणपुलाए चरित्तपुलाए लिंगपुलाए अहासुहुमपुलाए णाम पंचमे 2 / बउसे णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहा-श्राभोगवउसे अणाभोगबउसे संवुडबउसे असंवुडबउसे अहासुडमबउसे णामं पंचमे 3 / कुसीले णं भंते ! कतिविहे पराणते ?, गोयमा ! दुविहे पराणत्ते, तंजहा-पडिसेवणाकुसीले य कसायकुसीले य 4 / पडि. सेवणाकुसीले णं भंते ! कतिविहे पन्नत्ते?, गोयमा ! पंचविहे पराणत्ते, तंजहानाणपडिसेवणाकुसीले दंसणपडिसेवणाकुसीले चरित्तपडिसेवणाकुसीले लिंगपडिसेवणाकुसीले अहासुहमपडिसेवणाकुसीले णामं पंचमे 5 /