________________ 572 / ( श्रीमदागमसुधासिन्धुः : तृतीयो विभाग : समोहए, सेसं तं चेव जाव अहेसत्तमाए समोहयो ईसिपब्भाराए उववाएयबो 1 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 2 // सूत्रं 608 // 17.10 // वाउकाइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पे समोहए 2 जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणवाए तणुवाए घणवायवलएसु तणुवायवलएसु वाउकाइयत्ताए उववज्जेत्तए, से णं भंते ! सेसं तं चेव एवं जहा सोहम्मे वाउकाइयो सत्तसुवि पुढवीसु उववाइयो एवं जाव ईसिपब्भाराए वाउकाइयो अहेसत्तमाए जाव उववाएयव्यो 1 / सेवं भंते ! 2 त्ति जाव विहरइ 2. . // सूत्रं 601 // 17-11 // // अथ सप्तदशमशतके एकेन्द्रियाख्य-द्वादशमोद्देशकः // एगिदियाणं भंते ! सव्वे समाहारा सव्वे समसरीरा एवं जहा पढमसए बितियउद्देसए पुढविकाइयाणं वत्तव्वया भणिया सा चेव एगिदियाणं इह भाणियव्वा जाव समाउया समोववन्नगा 1 / एगिदिया णं भंते ! कति लेस्सायो पन्नत्तायो ?, गोयना ! चत्तारि लेस्सायो पन्नत्तायो, तंजहाकराहलेस्सा जाव तेउलेस्सा 2 / एएसि णं भंते ! एगिदियाणं कराहलेस्साणं जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा एगिदियाणं तेउलेस्सा काउलेस्सा अणंतगुणा णीललेस्सा विसेसाहिया कराहलेस्सा विसेसाहिया 3 / एएसि णं भंते ! एगिदिया णं कराहलेस्सा इड्डी जहेव दीवकुमाराणं 4 / सेवं भंते ! 2 ति जाव विहरइ 5 // सूत्रं 610 // 17-12 // // अथ सप्तदशमशतके नाग-सुवर्ण-विद्यु द्वाय्वग्निकुमाराख्या त्रयोदशमतस्सप्तदशमान्तोद्देशकाः / / नागकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा जहा सोलसमसए दीवकुमारहे से तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव इड्डीति 1 / सेवं भंते ! सेवं भंते !