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शिङ्गभूपाल
वंशपरिचय- रसार्णवसुधाकर में मङ्गलाचरण के पश्चात् कतिपय कारिकाओं में शिङ्गभूपाल ने अपना परिचय दिया है। उसके अनुसार वे शूद्रवर्ण में उत्पन्न राजा थे । ' शूद्रों में रेचल्लादाचय नामक आप के प्रपितामह थे जो अत्यन्त उदार, कलामर्मज्ञ और समृद्धिशाली राजा थे। युद्धकौशल तथा भुजबल के कारण युद्धस्थल में विजयलक्ष्मी सदैव ' उन्हें प्राप्त होती थीं। लक्ष्मी की स्थिरता के कारण उन्हें खड्गनारायण की उपाधि मिली थी। भगवान् विष्णु की पत्नी लक्ष्मी के समान उदार गुणों वाली वोचमाम्बा नामक उनकी पत्नी थी। उन दोनों-दाचयनायक और वोचमाम्बा से कल्पवृक्ष के समान और शत्रुवीरों को भयभीत करने वाले तीन पुत्र हुए- 1. शिङ्गप्रभु 2. वेन्नम नायक और 3. रेचमहीपति । दाचयनायक की मृत्यु होने पर वंशपरम्परा के अनुसार तीनों भाइयों में ज्येष्ठ होने के कारण शिङ्गप्रभु राजा हुए। उस शिङ्गभूप के शासन में धर्म समृद्ध हुआ । ' तथा विनीत (सज्जन) लोगों की उन्नति और अविनीत (दुष्ट) लोगों का पतन हुआ।' उस शिङ्गभूप के अनन्त और माधव नामक दो लोकरक्षक पुत्र हुए।' शिङ्गभूप के अनुज रेचमहीपति को अत्युत्कृष्ट कठारिराय उपाधि से सम्पन्न नागयनायक नामक पुत्र था । ' शिङ्गभूप के एक भाई वेन्नमनायक के पुत्र के विषय मे कोई उल्लेख नहीं किया गया है। जिससे प्रतीत होता है कि अल्पायु में उनकी मृत्यु हो गयी होगी ।
शिङ्गप्रभु के पश्चात् राजा में पाये जाने वाले दोषों से रहित होने के कारण अनपोत उपाधि वाले अनन्त ने शासनभार सँभाला। कनिष्ठ पुत्र माधव प्रतापी और ख्यातिलब्ध कीर्ति वाले नायक थे जिनके वेदगिरीन्द्र इत्यादि प्रमुख पुत्र हुए। शिव की पत्नी पार्वती, शत्रुघ्न की पत्नी श्रुतिकार्ति तथा अर्जुन की पत्नी सुभद्रा के समान पति को आनन्दित करने वाली अन्नमाम्बा नामक अनन्त की पत्नी थी।" राजा अनन्त ने अनेकों सोमयज्ञ किया।° ब्राह्मणों को दान दिया । " और अनेक युद्धों में शत्रुओं को परास्त किया।'' उन दोनों अनन्त और अन्नमाम्बा से दो पुत्र हुए- प्रथम देवगिरीश्वर और द्वितीय शिङ्गभूपाल ।
(1) द्रष्टव्यः - 1. 4-5 (2) द्रष्टव्य :- 1. 5-7
(3) द्रष्टव्यः- 1.9
( 4 ) द्रष्टव्यः - 1.10 (5) द्रष्टव्य :- 1. 11
( 6 ) द्रष्टव्य :- 1.15
रसा. ३
(7) द्रष्टव्य :- 1. 14
(8) द्रष्टव्यः - 1. 16
( 9 ) द्रष्टव्य :- 1. 24-25 (10) द्रष्टव्य :- 1. 19 (11) द्रष्टव्यः - 1. 21 (12) द्रष्टव्य :- 1. 22-23