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प्रस्तावना
शुद्ध पाठोंकी दृष्टिसे 'क' प्रति सबसे अधिक उपयोगी है । अतएव सम्पादन कार्यमें उक्त दोनोंकी अपेक्षा 'क' प्रतिसे विशेष सहायता प्राप्त हुई है |
अनुवाद
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प्रस्तुत ग्रन्थका अनुवाद - कार्य सबसे प्रथम सम्पन्न किया गया है । अनुवादके लिए न तो कोई संस्कृत टिप्पण ही उपलब्ध हुआ और न संस्कृत व्याख्या ही । अर्थके स्पष्टीकरण हेतु शाब्दिक अनुवाद देनेका प्रयास किया गया है । कहीं-कहीं भावानुवाद भी किया गया है । मूलानुगामी अनुवाद देनेकी पूर्णतया चेष्टा की गयी है ।
आत्म-निवेदन
अलंकार चिन्तामणि के सम्पादन और अनुवादमें अनेक व्यक्तियोंसे प्रेरणा एवं सहयोग प्राप्त हुआ है । सर्वप्रथम मैं ग्रन्थमाला सम्पादक और नियामक आदरणीय डॉ. हीरालाजी जैन एवं आदरणीय डॉ. ए. एन. उपाध्येके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ । इन दोनों विद्वानोंकी उदार नीतिके कारण ही यह ग्रन्थ पाठकोंके समक्ष प्रस्तुत हो हो रहा है ।
इस ग्रन्थका प्राक्कथन हिन्दी और संस्कृत साहित्य के मूर्धन्य विद्वान् आचार्य श्री देवेन्द्रनाथ शर्मा, प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटनाने लिखनेकी कृपा की है, इसके लिए मैं आचार्य प्रवरके प्रति हार्दिक कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ। मेरी धारणा है कि उनका प्राक्कथन इस ग्रन्थको समझनेमें सहायक होगा ।
अलंकार चिन्तामणि का अनुवाद कार्य सम्पन्न होनेके पश्चात् मेरे निजी पुस्तकालय से पुस्तकों की चोरी हुई जिसमें अनुवाद सम्बन्धी एक रजिस्टर भी चोरी चला गया । फलतः यह ग्रन्थ जितना शीघ्र पाठकोंके समक्ष प्रस्तुत हो सकता था, नहीं हो सका । पुनः अनुवाद कार्य सम्पन्न करनेमें मुझे पर्याप्त समय लगा ।
अलंकारचिन्तामणिका शब्दालंकार सम्बन्धी प्रकरण अत्यन्त गूढ़ है | अतः इस प्रकरण के कई श्लोकोंके अर्थ मुझे स्पष्ट नहीं हो सके । मैंने इन पद्योंके स्पष्टीकरण के लिए श्री पं. पन्नालालजी साहित्याचार्य, सागरसे पत्राचार द्वारा सहयोग प्राप्त किया । पं. जीने मेरी शंकाओंका पूर्णतया समाधान किया अतः मैं उनके प्रति अपना हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ ।
पाण्डुलिपि तैयार करने में प्रिय शिष्य डॉ. कंछेदीलाल, एम. ए. पी-एच. डी., साहित्याचार्य से सहयोग प्राप्त हुआ है । अतएव उन्हें भी मैं साधुवाद देता हूँ ।
प्रूफ-संशोधनमें मेरे सहयोगी विद्वान् डॉ. रामनाथ पाठक 'प्रणयी', एम. ए., पी-एच. डी., साहित्य - व्याकरण - आयुर्वेदाचार्य, श्री पं. कमलाकान्त जी उपाध्याय, साहित्य. व्याकरण - वेदान्ताचार्य, श्री महादेव चतुर्वेदी, व्याकरणाचार्य एवं उनके सहयोगियोंने सहयोग प्रदान किया है, इसके लिए मैं उक्त विद्वानोंका हृदयसे आभारी हूँ |
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