Book Title: Alankar Chintamani
Author(s): Ajitsen Mahakavi, Nemichandra Siddhant Chakravarti
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 472
________________ ३७५ परिशिष्ट पृष्ठम् ७८, श्लोकः १५३, अन्तरितमुरजबन्धः । - Jला नं चै न २च नस्येन हा न ही न ५ नं जिन अनन्ता न श न ज्ञान स्थान स्था न त नंदन पृष्ठम् ७९, श्लोकः १५४, प्रकारान्तरेण मुरजबन्धः । A . दिव्य ध्वनि सितच्छत्र, चामौ ईन्दुभि: स्वनैः। दिव्य विनिर्मित स्तोत्र, अमददुरि भिजनैः । पृष्ठम् ८०, श्लोकः १५५, अर्धभ्रमबन्धः । या ऽपा | पा । या त | पा | ये नि । प्रा मा | ता । न न्व Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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