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अलंकारचिन्तामणिः
[२.११० विद्यानन्दः । अन्यत्र विदः संवित्तयः ॥ सुरैः कः पूज्यते भक्त्या मुक्त्वाऽऽद्यन्ताक्षरद्वयम् । ब्राहि किं कुरुते रम्यस्त्रोनितम्बेऽतिकामुकः ॥११०॥ परमेष्ठी । रमे। हीयमानाक्षरजातिः ।। यन्मिथोऽक्षरवतिन्या रेखयाऽन्तरितः स्फुटम् । तमाहुः शृङ्खलाबन्धं भवशृङ्खलया च्युताः ॥१११।। संबोध्यो घ्राणगम्यो रुचिरयुवतिभिः के परिष्वक्तकायाः संबोध्यो राजपथ्यो रिपुनिवहरणे को रते कामिनोभिः । संबोध्यः कः कृतो ग्लोकिरणगणनिभः श्लाध्यते लोकतः कः सर्वान्तर्बाहयसङ्गव्यपगतंतनुकं किसमः स्यान्मुनीशः ॥११२॥
उत्तर---विद्यानन्द:-विद्यानन्द आचार्यने अष्टसहस्रीकी रचना की है। उत्तरवाचक इस 'विद्यानन्द' शब्दके मध्यवर्ती दो वर्णों 'द्या' और 'न' का त्याग करनेपर 'विदः' शब्द शेष रहा । विदः-संवित्तयः-ज्ञान ।
देवों द्वारा भक्तिपूर्वक कौन पूजा जाता है ? उत्तरवाचक इस शब्दके आदि और अन्तके दो वर्ण छोड़ देनेपर जो शब्द अवशिष्ट रहता है, वह अत्यन्त विषयीपुरुष द्वारा सुन्दर स्त्रीके नितम्बपर कौन सी क्रियाका सम्पादन करता है ॥११०३॥
उत्तर-परमेष्ठी-देवों द्वारा भक्तिपूर्वक परमेष्ठोकी पूजा होती है। उत्तरवाचक इस परमेष्ठो शब्दमें-से आदि और अन्तके वर्ण हटा देनेपर 'रमे' शेष रहता है । विषयी पुरुष सुन्दर रमणीके नितम्बोंपर 'रमे'-रमण करता है।
ये हीयमानाक्षरजाति चित्रके उदाहरण हैं। शृंखलाबन्ध चित्रका लक्षण
जो रचनाविशेष परस्पर अक्षरोंमें स्थित रेखासे स्पष्ट व्यवहित हो, उसे संसार शृंखलासे मुक्त आचायोंने शृंखलाबन्ध कहा है ॥१११३॥ उदाहरण
नासिकासे ग्रहण करने योग्यका सम्बोधन क्या है ? सुन्दर युवतियों के द्वारा समलिंगित शरीरवाले कौन हैं ? शत्रुओंके साथ युद्ध में राजाओंके हितकारकका क्या सम्बोधन है ? सुरतके समय कामिनियोंसे सम्बोधन करने योग्य कौन है ? चन्द्रमाकी किरणोंके समान संसारमें कौन है ? लोकमें कौन श्लाघ्य है ? बाह्य और अभ्यन्तर परिग्रह त्यागी मुनि किसके समान होता है ? बतलाइए ॥११२३॥
१. तनुकः -क।
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