Book Title: Alankar Chintamani
Author(s): Ajitsen Mahakavi, Nemichandra Siddhant Chakravarti
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 452
________________ परिशिष्ट ३५५ पद्मरागमणि पदानुगुण्य पदानामर्थ पदानि पदैभिन्नः पद्माकरोऽपि पर्यायेणोपमानो परस्परक्रिया परस्त्रीषु परुषाक्षर पलाशे पलायमान पल्लवाविव पल्लव: पाठकालेऽपि पाण्डवा पादत्रितय पादास्ताब्जा पारम्पर्योपदेशेन पाश्चादार्ता पुत्रपौत्रं पुरे प्राकारतच्छीर्ष पुरोहिते पुरोर्बहुसुतेष्वेष ५।३४३।३१६ पुष्पाञ्जलि ५।१३९।२६१ पुष्पोपचयने ५।२९५।३०५ पूर्धिमूवं ५१३०७।३०७ पूर्वापरत्व ४।२४२॥१९१ प्रतापश्चक्रिणः ४।१८८।१७३ प्रतिगजितु ४११००११४२ प्रतिबिम्बनं ४।२१०११८१ प्रतिभोज्जीवनो २११६५। ८७ प्रतियन्त्रं ४।२८८।२०५ प्रतिवस्तूपमा ५।२०५।२९२ प्रतीप ४।२६०११९७ प्रतीयमान ४।२७५/२०१ प्रमदया ४। ६२११३४ प्रयाणेऽश्व ४।११५:१४८ प्रयुक्तं ५।२८२१३०२ प्रयोजनोज्झितं २।१०६। ५८ प्रसिद्धकारणा २०१६९। ९० प्रत्यादिकुञ्ज ५। ७।२२७ प्रत्युत्तरोत्तरं १॥ ११॥ ३ प्रत्येकं तु ५।३३६।३२२ प्रश्नाक्षरं ५।१२६।२५७ प्रश्नोत्तरे १। ३९। ९ प्रश्नोत्तरसमं १। ३३। ८ प्रस्तुतानुपयोग्यार्थ ४। ८६११३८ प्रस्तुतस्यैव ४।२३०।१८७ प्राच्योदीच्याः ४।११०११४६ प्रावृट्काले ५।१५२१२६७ प्रारब्धनियम ४२११११८१ प्राहुः क्षमारूप ४।२३५।१८८ प्राज्ञः प्राप्तसमस्त ४।३२८।२१७ प्रियकारिणि ४२०९।१२० प्रियस्य ४। ६०११३३ [ब] ५।१०११२५१ बन्धुपित्रादि ५।३९४।३३० १। ६५। १४ २११४९। ७५ ५।२४०।२९२ ५। ५४।२३९ ४। ७८।१३७ ४॥२३९।१९० १॥ ८॥ ३ २।१७३। ९१ ४॥ १२॥११९ ४। ७।११३ ४। ४।१११ ३। २९।१०७ १। ४७। ११ ५।२०८।२८३ ५।२३८।२९१ ४/२०४।१७८ ४।३३९।२२१ ४।३२५।२१६ १। ९४। २२ २। ३९। ३७ ४।२९०।२०६ २। ५। २७ ५।१९३।२७९ ४॥२६५।१८९ ४।२०३।१७८ ५।१४०।२६१ ५।२२८४२८९ २॥ ३६॥ ३६ ५।१३६।२५९ २। ३५। ३५ ५। ८०।२४६ पुरोः शास्त्रविधुः पुरोः समवसृत्यन्त पुराणारोहता पुरुभाषोदयेनैव पुरुदेवपुरी पुरोरने पुष्पति हंसति पुष्टः शोको ५। ९१।२४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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