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द्वितीयः परिच्छेदः के मधुरारावा के पुष्पशाखिनः । केनोह्यते गन्धः केवलेनाखिलार्थदक् ॥१४१॥ द्वयक्षरच्युतप्रश्नोत्तरम् । केकिनो मधुरारावाः केसराः पुष्पशाखिनः । केतकेनोह्यते गन्ध: केवलेनाखिलार्थदक ॥१४२।। केसराः नागकेसरा: । केवलेन केवलज्ञानेन । का स्वरभेदेषु का रुचिहा रुजा। का रमयेत्कान्तं का तारनिस्वना ॥१४३।। तदेव । काकली स्वरभेदेषु कामला रुचिहा रुजा । कामुकी रमयेत्कान्तं काहला तारनिस्वना ॥१४४॥ का कला स्वरभेदेषु का मता रुचिहा रुजा। का मुहू रमयेत्कान्तं का हता तारनिस्वना ॥१४५॥
मधुर शब्द करनेवाला कौन है ? सिंहकी ग्रोवापर क्या होते हैं अथवा पुष्पवृक्ष कौन हैं ? उत्तम गन्ध कौन धारण करता है ? और जीव सर्वज्ञ किसके द्वारा होता है ? ॥१४१॥
दो-दो अक्षर जोड़कर निम्नप्रकार उत्तर दिया गया है:
मधुर शब्द करनेवाले केकी-मयूर होते हैं। सिंहकी ग्रीवापर केश होते है अथवा पुष्पवृक्ष केसर--नागकेसर है। उत्तम गन्ध केतकी-पुष्प धारण करता है और यह जीव केवलज्ञान होनेपर सर्वज्ञ हो जाता है ॥१४२३॥
स्वरके समस्त भेदोंमें उत्तम स्वर कौन सा है ? शरीरकी कान्ति अथवा मानसिक रुचि नष्ट कर देनेवाला कौन सा रोग है ? पतिको कौन प्रसन्न कर सकती है ? उच्च तथा गम्भीर शब्द करनेवाला कौन है ? ॥१४३३॥
स्वरके समस्त भेदोंमें वीणाका स्वर उत्तम है। शरीरको कान्ति अथवा मानसिक रुचिको नष्ट करनेवाला कामला-पीलिया रोग है। कामिनी-स्त्री पतिको प्रसन्न कर सकती है और उच्च तथा गम्भीर शब्द करनेवाला ढोल है ॥१४४॥
यहाँ सभी प्रश्नोंका उत्तर दो अक्षर जोड़कर दिया गया है।
स्वरभेदोंमें उत्तम स्वर कौन सा है ? कान्ति अथवा मानसिक रुचिको नष्ट करनेवाला रोग कौन-सा है ? कौन-सी स्त्री पतिको प्रसन्न कर सकती है ? ताड़ित होनेपर गम्भीर तथा उच्च शब्द करनेवाला बाजा कौन है ? ॥१४५३॥
१. केनाखिलार्थदृक् -क-ख। २. केवलेन केवलज्ञानेन इति पाठो नास्ति -ख । ३. कमला -ख । ४. का मुहू रमयेत्कान्त -ख । ५. खप्रतौ का कला....इत्यादि १४५ श्लोको नास्ति।
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