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अलंकारचिन्तामणिः
[ २।११६-
पल्लवक महिता । ऊर्ध्वमुखी सर्पाकृतीश्चतस्रो लेखा विलिख्य पुनर्मुखपुच्छान्तरे तिर्यग्रेखाषट्कं विलिखेत् । तानीमान्येकविंशतिकोष्ठानि स्युः । ततः फणादारभ्य प्रतिपङ्क्तिपुच्छपर्यन्तं पृथक् -- पृथगिमान् वर्णान्न्यसेत् ।
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प्रथमपङ्क्ति प्रथमकोष्ठाक्षरमारभ्य यावदन्तरं चतुरङ्गक्रीडायां गजपदचारक्रमेणैकमिद वाक्यं वाचयेत् । पुनस्तृतीयपङ्क्ति प्रथमकोष्ठादारभ्य तथैव वाचयेत् । अथ मध्यमपङ्क्ति प्रथम कोष्ठमारभ्य प्रथमपङ्क्तो द्वितीयपङ्क्ती वा त्रिप्रचारक्रमे यावदन्तरं वाचयेत् । तदिदं त्रेधाविभक्तमपि एकरूपतया त्रिगुणित - नागपाशं स्यात् । प्रश्नोत्तरमिदं सप्तवर्णम् । अन्यस्तु स्वबुद्धयनुसारेण न्यूनमधिकं वा वदेत् ।
संस्कृतप्राकृताद्युक्तिवैचित्र्यं यत्र विद्यते । तच्चित्र मैकवर्ण्य तु शुद्धं तत्परिभाष्यते ।।११६।।
उत्तर - पल्लवक महिता । लतामें रम्य लगनेवालेका सम्बोधन पल्लव है । तापहरण करनेवालेको 'कम्' - जल कहते हैं । पुरुषोंकी मिथ्यारुचि अहितकारिणी होती है । वेश्याओंकी वीथी 'पल्लवकैः महिता' - विटोंसे संयुक्त होती है ।
नागपाश रचनाकी विधि
ऊपर मुखवाली सर्पाकृति चार रेखाओं द्वारा लिखकर मुख और पुच्छके बीच में तिरछी छः रेखाओंको लिखना चाहिए। इस प्रकार रचना करनेसे इक्कीस कोष्ठक होते हैं । तदनन्तर फणसे प्रारम्भ कर प्रत्येक पंक्तिके पुच्छ तक पृथक्-पृथक् इन वर्णोंकी स्थापना करनी चाहिए । प्रथम पंक्तिके प्रथम कोष्ठक के अक्षरसे प्रारम्भ कर अन्तपर्यन्त चतुरंगक्रीड़ा में गजपदचारके क्रमसे इस एक वाक्यको बाँचना चाहिए । पुनः तृतीय पंक्ति के प्रथम कोष्ठसे प्रारम्भ कर उसी प्रकार बाँचना चाहिए । तदनन्तर मध्यम पंक्ति के प्रथम कोष्ठकसे प्रारम्भ कर या द्वितीय पंक्ति में तीन आवृत्ति से क्रमश: बाँचना चाहिए । तीन हिस्सों में विभक्त रहनेपर भी एकतारूप यह नागपाश त्रिगुणित हो सकता है । यह प्रश्नोत्तर सप्तवर्णवाला है । अपनी बुद्धिके अनुसार अन्य भी कम या अधिक अक्षरका बनाना चाहिए ।
चित्रका लक्षण --
संस्कृत और प्राकृत भाषाके जिस रचनाविशेषमें उक्तिकी विचित्रता प्रतीत हो उसे चित्र कहते हैं । एक ही प्रकारका सादृश्य प्रतीत होनेपर उसे शुद्ध कहा जाता है ॥११६३॥
१. पल्लव कम् अहिता । पल्लवकैः विटैः महिता पूजिता । षिङ्गः पल्लवको विट: इत्यभिधानात् । मूलग्रन्थे पादभागे । २. ऊर्ध्वमुखी - ख । ३. त्रिप्रचारक्रमेण -क | ४. अन्यत्तु - ख । ५ तच्चित्रमेकवाण्या तुक |
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