________________
द्वितीयः परिच्छेदः
वक्षोऽवक्षोजलक्ष्यं वहति जगति कः को विनीतो निषेधे
को वर्णः कीदृशं स्याद् बलमिह बलिनां शं कुतः स्यान्मृगाणाम् । कस्तूरी स्यात् क्व जाता कुलममलकुलं तत्कुतोऽभूद्यदूनां
-१२४ ]
1
कीदृक्षः स्याद्विधाता प्रथमजिनपतिः कः श्रिये नाभिजातः ॥ १२३॥ ना | अभिजातः । कुलीनः । कुल्यः कुलीनोऽभिजात इत्यभिधानात् । न । अभि । निर्भयं । जातः मातुः कान्तायाः वा । जायाजनन्योर्जा इति वचनात् । बाल्ये मातुः यौवने कान्तायाश्च सुखम् । नाभिजा । नाभी जन्यते इति नाभिजा । अतः विष्णोः नाभिजातः नाभेर्जातः नाभिपद्यात्मभूर्ब्रह्मेत्युक्तेः नाभिजातः । त्रिर्व्यस्तद्विः समस्तजातिः ।
I
वर्णः कः स्यात् स्फुटार्थे क्व च वसति रमा कीदृशः स्याद् दरिद्रः कः शब्दः स्याद्विकल्पे वदति रतिपतिः पुंस्त्रियों के प्रशस्ये । कोऽत्रान्तःस्थासु मुख्यः क्व सति शिवसुखं किं कुशीकृत् प्रतीतं कीदृग्गुहो वाऽऽदिमजिनवरतः को जिनो वै जये यः ॥ १२४ ॥
६५
इस संसार में वक्षोज रहित वक्षःस्थलको कौन धारण करता है ? नम्र कौन है ? निषेधार्थक वर्ण कौन हैं ? बलशालियोंका बल कैसा होता है ? मृगोंको शान्ति कैसे मिलती है ? कस्तूरी कहाँ होती है ? यदुवंशियोंका कुल निर्मल कैसे हुआ ? विधाता कैसा है ? प्रथम तीर्थंकर कौन हैं ? लक्ष्मीके लिए कौन पुरुष अभिजात होता है ? ।।१२३३॥
उत्तर - ना - पुरुष वक्षोज - स्तनरहित वक्षस्थलको धारण करता है । अभिजात - कुलीन नम्र होता है । कुल्य और कुलीन अभिजातके पर्यायवाची हैं । निषेध अर्थ में न का प्रयोग होता है । अभि-निर्भय, बलशालियोंका बल निर्भय होता है । जातः - माँ या कान्तासे, जात शब्द माता और कान्ता वाचक है । जायाजनन्योर्जा - इस वचनके अनुसार उक्त अर्थ घटित होते हैं । हरिणोंको बाल्यावस्था में माँसे और युवा - वस्था में कान्तासे शान्ति मिलती है । नाभिजा - नाभौ जायते इति नाभिजानाभिसे उत्पन्न होने के कारण नाभिजा कहते हैं । कस्तूरी नाभिसे उत्पन्न होती है । अतःश्रीकृष्ण से यदुकुल निर्मल हुआ । ब्रह्माकी उत्पत्ति विष्णुकी नाभिसे है । प्रथम तीर्थकर 'नाभिजात : ' - नाभिराज पुत्र ऋषभदेव हैं । अभिजात ना - कुलीन मानव लक्ष्मीके लिए अभिजात होता है ।
यह त्रिस्तद्वि: समस्त जातिका उदाहरण है ।
स्पष्ट अर्थ में कौन वर्ण है ? रमा कहाँ रहती है ? दरिद्र कैसा होता है ? विकल्प अर्थमें कौन शब्द है ? कामदेव कहता है कि स्त्री और पुरुषों में कौन अत्यन्त प्रशंस्य हैं ? अन्तःस्थों में कौन प्रधान है ? मोक्ष सुख कैसे रहनेपर प्राप्त होते हैं ? फाल कैसी प्रतीत
१. कुषीकृत् - ख ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org