________________
८८
अलंकारचिन्तामणि
काव्यका उदाहरण २७५, ध्वनि काव्य २७५, शब्दचित्रका उदाहरण २७६, अर्थचित्रका उदाहरण २७६, शब्दार्थ चित्रका उदाहरण २७६, व्यंजनाका स्वरूप २७७, अर्थविशेषके कारण २७७, उदाहरण २७७, दोषंकी परिभाषा और उसका भेद २७९, नेयार्थका स्वरूप और उदाहरण २७९, अपुष्टार्थका स्वरूप और उदाहरण २७९, निरर्थकका स्वरूप और उदाहरण २८०, अन्यार्थका स्वरूप और उदाहरण २८०, गूढ़ार्थ दोषका स्वरूप और उदाहरण २८०, विरुद्धाशयका स्वरूप और उदाहरण २८०, ग्राम्यदोषका -स्वरूप और उदाहरण २८१, क्लिष्टार्थदोष और उसका उदाहरण २८१, सन्दिग्धत्व और उसका उदाहरण २८१, अश्लीलत्व दोष और उसके भेद २८२, अप्रतीतित्व दोष और उसका उदाहरण २८२, च्युतसंस्कारका स्वरूप और उदाहरण २८२, परुषत्व दोषका स्वरूप और उदाहरण २८३, अविमृष्ट विधेयांशदोष २८३, अप्रयोजक दोष २८३, असमर्थत्व दोष २८३, चौबीस वाक्यदोष २८४ (१) छन्दश्च्युत ( २ ) रीतियुत ( ३ ) यतिच्युत २८४, (४) क्रमच्युत (५) अंगच्युत (६) शब्दच्युत २८५, (७) सम्बन्धच्युत ( ८ ) अर्थच्युत ( ९ ) सन्धिच्युत (१०) व्याकीर्णं २८६ (११) पुनरुक्तदोष ( १२ ) अस्थिति समाप्त (१३) विसर्गलुप्त २८७, (१४) वाक्याकीर्ण (१५) सुवाक्यगर्भित (१६) पतत्प्रकर्षता २८८, (१७) प्रक्रमभंग (१८) न्यूनोपमदोष (१९) उपमाधिक २८९, (२०) अधिकपद (२१-२२) भिन्नोक्ति और भिन्नलिंग ( २३ ) समाप्तपुनरात्त (२४) अपूर्णदोष २९०, अर्थ दोष २९१, ( १ ) एकार्थ ( २ ) अपार्थ (३) व्यर्थ २९१, (४) भिन्नार्थ (५) अक्रमार्थ दोष (६) परुषार्थ दोष (७) अलंकार हीनार्थ दोष (८) अप्रसिद्धोपमार्थ दोष २९२, (९) हेतुशून्यदोष (१०) विरस दोष (११) सहचर भ्रष्ट २९३, (१२) संशयाढ्य (१३) अश्लील (१४) अतिमात्र दोष (१५) विसदृश (१६ - १७) समताहीन और सामान्य साम्य २९४, (१८) विरुद्ध २९५. देशविरुद्ध और लोकविरुद्ध २९५, आगम स्ववचन- प्रत्यक्ष विरोध २९५, अवस्था विरोध २९५, नाम दोष २९५, गुण २९९, (१) श्लेषके गुण २९९, ( २-३ ) भाविक और सम्मितत्व ३००, ( ४ ) समता ( ५ - ६ ) गाम्भीर्य और रीति ३०१, (७) उक्ति (८) माधुर्य ( ९ ) सुकुमारता ३०२, (१०) गति ( ११ ) समाधि ( १२ ) कान्ति ३०३, (१३) औजित्य (१४) अर्थव्यक्ति (१५) औदार्य ३०४, (१६) प्रसाद ३०५ (१७-१८) सौक्ष्म्य और ओज (१९) विस्तर ३०६, (२०) सूक्ति (२१) प्रौढ़ि (२२) उदात्तता ३०७, (२३) प्रेयान् (२४) संक्षेपक ३०८, नायकके गुण ३०९, नायकके भेद ३०९, धीरोदात्तका स्वरूप ३०९, उदाहरण ३०९, धीरललित ३०९, उदाहरण ३१०, धीरशान्त ३१०, उदाहरण ३१०, धीरोद्धत ३१०, उदाहरण ३११,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org