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द्वितीयः परिच्छेदः प्रश्नाक्षरसदृशत्वमुत्तरे यत्र गद्यते । प्रश्नोत्तरसमं प्रोक्तं' न देवकविकुञ्जरैः ॥३९॥ शोभा भवति कोदृक्षे खे सरस्वति विद्रुमाः । क्व सन्तीत्यादिकप्रश्ने विचिन्त्योत्तरमच्यताम् ।।४।।
भानि नक्षत्राणि अस्मिन् भवतीत्युत्तरम् ॥ भोः सरस्वति, उत्तरवचनपक्षे ( सरस्वति' ) समद्रे ॥ प्रश्नोत्तरसमजातिः ॥
उत्तरं यत्र सूच्चार्य प्रश्नस्तस्यानुयुज्यते । पृष्टप्रश्न समाख्यातं प्रश्नोत्तरविशारदैः ॥४१। श्रीः स्मरो भूर्युधश्चेति प्रोक्तमुत्तरमत्र तु । प्रत्येक पुच्छतां चक्रितेजोदग्धाः क्वकाः स्थिताः॥४२॥
केकिराजयः । का ई । कः इः । इरा। अजयः । के जले । अरिराजयः । पृष्टप्रश्नजातिः।
प्रश्नोत्तरसम चित्रका लक्षण
जिस उत्तरमें प्रश्नाक्षरके समान ही अक्षर हों, उसे श्रेष्ठ कवियोंने प्रश्नोत्तरसम चित्र कहा है ॥ ३९ ॥ उदाहरण
कैसे आकाश में शोभा होती है ? हे सरस्वति ! विद्रुममणि कहाँ प्राप्त होती है ? अच्छी तरह विचारकर उत्तर दीजिए ॥ ४० ॥
उत्तर-भानि नक्षत्राणि अस्मिन्भवतीत्युत्तरम्-नक्षत्र जिसमें हो, वह आकाश शोभित होता है । समुद्रे-विद्रुममणि समुद्र में प्राप्त होते हैं । यह प्रश्नोत्तर समजातिका उदाहरण है। पृष्ट प्रश्नजाति चित्रका लक्षण
जिसमें उत्तरका अच्छी तरहसे उच्चारण कर उसका प्रश्न भी पीछेसे जोड़ा जाता . है, उसे प्रश्नोत्तर विशारद पृष्ठ प्रश्न कहते हैं ॥ ४१ ।। उदाहरण
___ लक्ष्मी, कामदेव, पृथिवी और युध ये उत्तर दिये जायें तथा इनके पीछे चक्रि, तेज, दग्ध, क्व और का भी जोड़े जायें ॥ ४२ ॥
उत्तर-केकिराजयः-का + ई 3 के-लक्ष्मी कौन । कः + इ = काम कौन । इरा= भूमि । अजयः = पराजय अथवा अजेय । के= जले-पीनमें । अरिराजयः = शत्रुश्रेणी । पृष्ट-प्रश्नजाति चित्रका उदाहरण है । १. तदेव कवि ... । २. सरस्वति इति भागो क नास्ति । ३. केरिराजयः क-ख । ४. अजयः ख ।
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