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अलंकारचिन्तामणिः
[२।९६कः पतिः सरितां पश्चान्मध्यवर्णविलोपतः।
व्ह लोके जितः कीदक काऽवनिः काव्यकोविद ॥९६।। सागरः । अन्यत्र मध्यवर्णलोपे सारः । रसा॥ मेरोः कोपरि रम्याऽस्ति मध्यवर्णद्वयच्युतेः । धत्तेऽतिरसिका पद्म स्त्रीने कीदृग्रते रता ॥९७॥
नाकावली। नाली। लीना स्त्री रता प्रीता। इने भर्तरि विलीनेव स्थितेति भावः । गतप्रत्यागतजातिः ॥
एकद्वित्र्यादयो वर्णजातयो यत्र वृद्धिगाः । आदौ मध्येऽवसाने वा वर्धमानाक्षरं च तत् ॥९८॥ आमन्त्रणाभिधायी कः' शब्दोऽहेः स्फुटभूषकः। संबुध्यतां च को लोके निन्द्यः पण्डितकुञ्जरैः ॥९९।। भोगान्धः । भो भोग ।
नदियोंका पति कौन है ? बीचके अक्षरके लोप कर देनेपर विजयी सूचक शब्द कौन है ? पृथिवी वाचक शब्द कौन है ? कविवर बतलाइए ॥९६॥
उत्तर-'सागरः' नदियोंका पति सागर-समुद्र है। 'सागर' में से बीचके अक्षर 'ग' का लोप कर देनेपर 'सार' शेष रहा। अतः विजयी सूचक शब्द 'सारः' है। 'सार'को उलटकर पढ़नेसे 'रसा' हुआ, यही पृथ्वी वाचक है।
मेरुसे अच्छी तरह सटकर कौन स्थित है ? इसके उत्तरवाले शब्दमें-से मध्यके दो अक्षर हटा देनेपर अत्यन्त सरस होकर कमलको कोन धारण करती है ? कैसे प्रेमालु पतिमें स्त्री विलीन जैसी हो जाती है ? ॥९७३॥
उत्तर-नाकावली-स्वर्गपंक्ति सुमेरुसे अच्छी तरह सटी हुई है । 'नाकावली' में से बीचके दो वर्ण लुप्त कर देनेपर 'नाली'-कमलकी डण्ठी कमलको सरस होकर धारण करती है । इसको–'नाली' को उलटकर पढ़नेपर लीना-स्त्री पतिमें विलीन होती है। यह गतप्रत्यागत जाति का उदाहरण है। वर्धमानाक्षरका लक्षण
जिस रचनाविशेषमें आदि, मध्य अथवा अन्तमें एक, दो या तीन अक्षरोंकी वृद्धि हो जाये उसे वर्धमानाक्षर कहते हैं ॥९८॥
सम्बोधनका वाचक शब्द कौन है ? सर्पको सुशोभित कौन करता है ? विद्वानोंके द्वारा निन्दितका सम्बोधन कैसे किया जाता है ॥९९॥
उत्तर-भोगान्धः-सम्बोधनवाचक शब्द 'भोः' है। सर्पको भूषित करनेवाला भोगफण है । लोकमें निन्दित व्यक्तिका सम्बोधन भोगान्ध-महाविषयो है।
१. शब्दोहेः -ख । २. नित्यः -ख ।
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