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अलंकारचिन्तामणिः
[ २।३६सामग्री। सा' लक्ष्मोः । अमगी। अमति जानातीत्यमा सा चासौ गी सरस्वतीति भावः। सोमोक्तिः । उपमा ॥
प्राहुः क्षमारूपमुनीशमूर्ति का वीरदिव्यध्वनिशीतभानोः। अग्रे कवीनां वचनं किमहो गणं महावीरहरेः कमाहुः ॥३६।। कुम्भं । कुं भुवं, भं नक्षत्रं । करिपिण्डं । रूपकं ॥ सालंकारजातिः ॥ वृत्तेन लघुना पृष्टं प्रचुराक्षरमुत्तरम् । यत्तत्तद्वेदिनः प्राहः कौतुकं कौतुकावहम् ॥३७॥ केऽनिलाः श्रीहरेलज्जा देहसंबोधनं कथम् । भक्षणार्थे च कः शब्दः कीदृग् रत्नत्रयं वद ॥३८॥
कामास्त्रपातनोदनं । काः। अनिलाः । मा श्रीः। अः विष्णुः। त्रपा । तनो । अदनम् । कौतुकजातिः।
उत्तर--सामगी। सा लक्ष्मीः -वह लक्ष्मी । जाननेवाली अर्थात् सरस्वती । सामोक्तिः-प्रियवचः-मधुरवाणो । यहाँ उपमालंकार रहनेसे सालङ्कार चित्र है। रूपक आलंकरजन्य चित्रका उदाहरण
वीरप्रभुकी दिव्यध्वनि स्वरूप चन्द्रमाको क्षमारूप मुनीशमूर्ति किसे कहा गया है ? कवियों के समक्ष पापरूप वचन क्या है ? महावीररूपी हरिका गण किसे कहा गया है ? ॥ ३६ ॥
उत्तर--कुम्भम्-कुं भुवं-पृथिवीको। भम्-नक्षत्र-ताराओंको । करिपिण्डम्-गजगण्डस्थल । यहाँ रूपक अलङ्कार होनेसे सालङ्कारचित्र है।
कौतुक चित्रालंकारका लक्षण
लघुवृत्त द्वारा प्रश्न किये जानेपर अधिक अक्षरों द्वारा जो उत्तर हो, विषयज्ञ विद्वानोंने कुतुहल उत्पन्न करनेवाले उस पदकोकौतुकचित्र कहा है ।। ३७ ॥ उदाहरण
___ अनिल कौन हैं ? हरिकी लज्जा क्या है ? देहका सम्बोधन कैसा होता है ? भक्षण अर्थमें कौन शब्द है ? रत्नत्रय कैसा है ? बतलाइए ॥ ३८ ॥
उत्तर-कामास्त्रपातनोदनम् । काः अनिलाः; मा-श्रीः, अ:-विष्णु भगवान् प्रपा तनो । अदनम्-भोजन । यहाँ प्रश्नाक्षरपद अल्प विस्तारवाला है और उत्तरपद अधिक अक्षरवाला है।
१. सा च लक्ष्मीनिगद्यते। एन विष्णुना सहिता सा लक्ष्मीः ॥ २. प्रिवचः । ३. रूपमुनीशमूर्ति का ( क )। ४. श्री हरिर्लज्जा ( ख )।
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