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प्रथमः परिच्छेदः
ग्रामे धान्यसरोवल्लीतरुगोपुष्टि- चेष्टितम् ग्राम्यमौग्ध्यघटीयन्त्रे केदारपरिशोभनम् ||३८|| पुरे प्राकारतच्छीषं वप्राट्टालकखातिकाः । तोरणध्वज सौधाध्ववाप्याराम जिनालयाः ||३९|| सरोवरेऽब्जभङ्गाम्बुलींगजकेलयः । हंसचक्रद्विरेफाद्यास्तीरोद्यानलतादयः ॥४०॥ अब्धी विद्रुममुक्तोमिपोतेभमकरादयः । सरित्प्रवेश संक्षोभकृष्णाब्जाध्मायितादयः ॥४१॥ नद्याम्बुधियायित्वं हंसमीनाम्बुजादयः । विरुतं तटवल्लय नलिन्यत्पलिनी स्थितिः ॥४२॥
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ग्रामके वर्णनीय विषय
गाँव में अन्न, सरोवर, लता, वृक्ष, गाय, बैल इत्यादि पशुओंकी अधिकता अथवा मस्ती तथा उनकी चेष्टाएँ, ग्रामीणोंकी सरलता, अज्ञानता, घटीयन्त्र एवं क्यारी आदिकी शोभाका वर्णन करना चाहिए ||३८||
नगरके वर्णनीय विषय
नगर में परकोटा - चहारदीवारी, उसका उपरिभाग, दुर्गप्राचीर, अट्टालिका, खाईं, तोरण, ध्वजा, चूनेसे पोते गये बड़े-बड़े महल, राजपथ, बावड़ी, बगीचा और जिनालय इत्यादिका वर्णन करना चाहिए ||३९||
सरोवर के वर्णनीय विषय
सरोवर में कमल, तरंग, कमलपुष्प तोड़ना, गजक्रीडा, हंस-हंसी, चक्रवाक, भ्रमर इत्यादि एवं तीरप्रदेश में स्थित उद्यान, लता, पुष्पादिका वर्णन करना चाहिए ||४०| समुद्र वर्णनीय विषय -
समुद्र में विद्रुम, मणि, मुक्ता, तरंग, जलपोत, जलहस्ति, मगर, नदियोंका प्रवेश और संक्षोभ - चन्द्रोदयजन्य हर्ष, कृष्ण कमल, गर्जन इत्यादिका वर्णन करना चाहिए ॥ ४१ ॥
नदीके वर्णनीय विषय
नदी के वर्णनमें समुद्रगमन, हंसमिथुन, मछली, कमल, पक्षियोंका कलरव, तटपर उत्पन्न हुई लताएँ, कमलिनी, कुमुदिनी इत्यादिकी स्थितिका वर्णन कवियोंको करना चाहिए ॥४२॥
१. गोपुष्ठि चेष्टितम् - ख ।
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