Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 2
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
View full book text
________________
श्रीमाणिक्यनन्याचार्यविरचित-परीक्षामुखसूत्रस्य व्याख्यारूपः
श्रीप्रभाचन्द्राचार्यविरचितः प्रमेयकमलमात ण्डः
[द्वितीय भाग] अर्थकारणतावादः
ननु चेन्द्रियानिन्द्रियनिमित्त तदित्यसाम्प्रतम्, पारमार्थालोकादेरपि तत्कारणतयात्राभिधानार्हत्वात् ; तन्न; पात्मनः समनन्तरप्रत्ययस्य वा प्रत्ययान्तरेप्यविशेषात् अत्रानभिधानम् असा
श्री माणिक्यनंदी आचार्य ने न्यायका सूत्रबद्ध परीक्षामुख नामा ग्रंथ रचा इसमें सर्व प्रथम प्रमाणके लक्षणका प्रणयन किया है, पुनः इस लक्षणके विषयमें विशेष विवरण किया गया है । इसीप्रकार अन्य विषय जो प्रामाण्य आदिक हैं उनका कथन है । प्रथम परिच्छेदमें तेरह सूत्र हैं, इन सूत्रों पर प्रभाचन्द्राचार्यकी पांडित्यपूर्ण विशाल काय टीका है। दूसरे परिच्छेदमें प्रमाणके भेदोंको बताते हुए पांचवें सूत्र में सांव्यवहारिक प्रत्यक्ष प्रमाणका वर्णन किया है । यहांतकके मूल सूत्र तथा उनकी प्रमेय कमल मार्तण्ड नामा टीका इन सबका राष्ट्र भाषामय अनुवाद प्रथम भागमें पाया है। अब इस दूसरे भागमें तृतीय परिच्छेद तकके प्रमेयोंका विवेचन रहेगा। इनमें प्रथम ही सांव्यवहारिक प्रत्यक्षके लक्षणमें परवादी शंका उपस्थित करते हैं
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org