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समुचित मन्यन हो नवनीत का लाभ अवश्य होता है।
इससे यही फलित हुआ
संघर्षमय जीवन का
उपसंहार वह नियमरूप से हर्षमय होता है, धन्य ! इसीलिए तो ... बार-बार स्मृति दिलाती हूँ
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टालने में नहीं सती-सन्तों की आज्ञा पालने में ही 'पूत का लक्षण पालने में यह सूक्ति चरितार्थ होती है, बेटा !" और, कुछ क्षणों तक मौन छा जाता है।
अब ! मौन का भंग होता है भाटी की ओर सेभीगे भावों की अभिव्यंजना : "इस सम्बोधन से यह जीवन बाधित हो. अभिभूत हुआ, माँ ! कुछ हलका-सा लगा
- 14 :: भूक माटी