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को वंदना की । यह देख कर वहां उपस्थित सब लोगोंको बडा ही आश्चर्य हुआ और कहने लगे कि, “कैसी आश्चर्यकी बात है ?, मुनि महाराजकी यह कैसी अपूर्व महिमा है कि बिना मंत्र तंत्रके देखते ही यह बालक स्पष्ट बोलने लग गया"।
पश्चात् राजाके स्पष्ट कारण पूछने पर केवली महाराजने कहा कि, "हे चतुर ! इस आकस्मिक घटनाका कारण पूर्वभवमें हुआ था, सो सुन !
पूर्व कालमें मलयदेशमें भदिलपुर नामक एक श्रेष्ठ नगर था। वहां याचक-जनोंको श्रेष्ठ अलंकारादि देनेवाला तथा अपने दुश्मनोंको बन्दीगृह भेजने वाला. चातुर्य, औदार्य, शौर्य आदि गुण सम्पन्न, आश्चर्यकारी चारित्रवान जितारि नामक राजा राज्य करता था । एक समय वह सभामें बैठा था कि इतनेमें द्वारपालने आकर विनती की कि, "हे देव ! आपके दर्शनको इच्छासे आया हुआ विजयपाल राजाका शुद्धचित्त दत द्वार पर खडा है."
राजाने उसे अन्दर लानेकी आज्ञा देने पर द्वारपाल उसे लेकर अंदर आया । अपने कर्तव्यका ज्ञाता और सत्यवादी दूत राजाको प्रणाम करके कहने लगा--- ___ हे महाराज ! साक्षात् देवपुर — स्वर्ग) के समान देवपुर नामक एक नगर है । वहां वासुदेवके समान पराक्रमी विजयदेव नामक राजा है । उसकी महासती पट्टरानीका नाम प्रीतिमती