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५, ६, ९१.) बंधणाणुयोगद्दारे पत्ते यसरीरदव्ववग्गणा
( ७५ विस्सासुवचयपहाणुक्कस्सपत्तेयसरीरवग्गणादो विस्सासुवचयपहाण जहण्णबादरणिगोदवग्गणाए अणंतगुणहीणत्तप्पसंगादो।
___जीवसहियाणं पुण अप्पाबहुगं उच्चदे-सव्वत्थोवो जहण्णओ ओरालियसरीरस्स विस्सासुवचओ । तस्सेव उक्कस्सओ विस्सासुवचओ असंखेज्जगणो । को गुणगारो? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। वेउवियसरीरस्स सव्वम्हि पदेसपिडे सव्वजहण्णओ विस्सासुवचओ असंखेज्जगुणो । को गुणगारो ? सेढीए असंखेज्जदिभागो। तस्सेव उक्कस्सओ विस्सासुवचओ असंखेज्जगुणो। को गुणगारो? पलिदोवमस्स असंखेज्जदि. भागो । आहारसरीरस्स सम्वम्हि पदेसपिंडे सव्वजहण्णओ विस्सासुवचओ असंखेज्ज. गुणो। को गुणगारो ? सेडीए असंखेज्जदिभागो। तस्सेव उक्कस्सओ विस्तासुवचओ असंखेज्जगुणो । को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। तेजइयसरीरस्स सव्वम्हि पदेसपिंडे सव्वजहण्णो विस्सासुवचओ अणंतगुणो। को गुणगारो । अभवसिद्धिएहि अणंतगगो सिद्धाणमणंतभागमेत्तगुणगारो।तस्सेव उक्कस्सओ विस्सासुवचओ असंखेज्जगणो । को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। कम्मइयसरीरम्हि पदेसपिडे जहण्णओ विस्सासुवचओ अणंतगणो। को गणगारो ? तेजइयगणगारो । तस्सेव उक्कस्सओ विस्सासुवचओ असंखेज्जगणो। को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेन्जदिभागो। तेण कारणेण पढमसमयसजोगिस्स ओरालियादिछप्पुंजदव्वेण विस्रसोपचयप्रधान उत्कृष्ट प्रत्येक शरीरवर्गणासे विस्रसोपचयप्रधान जघन्य बादर निगोद वर्गणाके अनन्तगुणे हीन होने का प्रसंग आता है।
जो जीवोंसे युक्त हैं उनका अल्पबहुत्व आगे कहते हैं-औदारिकशरीरका जघन्य विस्रसोपचय सबसे स्तोक है । उसीका उत्कृष्ट विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? पल्योपमका असंख्यातवां भाग गुणकार है। वैक्रियिकशरीरके सम्पूर्ण प्रदेशपिण्डमें सबसे जघन्य विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है? जगश्रेणिका असंख्यातवां भाग गुणकार है । उसी का उत्कृष्ट विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? पल्योपमका असंख्यातवां भाग गुणकार है। आहारकशरीरके सम्पूर्ण प्रदेशपिण्डमें सबसे जघन्य विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? जगश्रेणिका असंख्यातवां भाग गुणकार है। उसीका उत्कृष्ट विस्र सोपचय असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? पल्योपमका असंख्यातवां भाग गुणकार है । तैजसशरीरके सम्पूर्ण प्रदेशपिण्ड में सबसे जघन्य विस्रसोपचय अनन्तगुणा है । गुणकार क्या है ? अभव्योंसे अनन्तगुणा और सिद्धोंका अनन्तवां भाग गुणकार है । उसीका उत्कृष्ट विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? पल्योपमका असंख्यातवां भाग गुणकार है। कार्मणशरीरके प्रदेशपिण्ड में जघन्य विस्रसोपचय अनन्तगुणा है। गुणकार क्या है ? तैजसशरीर गुणकार है। उसीका उत्कृष्ट विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? पल्योपमका असंख्यातवां भाग गुणकार है । इस कारगसे प्रथम समयवर्ती सयोगी
जिनके औदारिक आदि छह पुञ्ज द्रव्यके साथ वैक्रियिक आदि छह पुञ्जका द्रव्य समान है । Jain Education internati० आ० प्रत्यो। '-पहाणं' इति पाठः1.
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