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५, ६, १६७, ) बंधणाणुयोगद्दारे सरीरिसरीरपरूवणाए खेत्तपरूवणा (२५५ बिसरीरा तिसरीरा चदुसरीरा केवडि खेत्ते? लोगस्स असंखे०भागे । बादरवाउकाइयपज्जत्ता चदुसरीरा केडि खत्ते? लोगस्स असंखे०भागे । विसरीरा तिसरीरा केवडि खेते ? लोगस्स संखे०भागे*
जोगाणुवादेण पंचमणजोगि-पंचवचि०-वेउब्विय०कायजोगि-वेउव्वियमिस्सकायजोगि-विभंगणाणि-मणपज्जवणाणि-सामाइय-च्छेदोवढावणसुद्धिसंजम-संजमासंजमसम्मामिच्छाइट्टीसु तिसरीरा चदुसरीरा केवडि खेत्ते ? लोगस्स असंखे भागे। णवरि वेउविय-वेउव्वियमिस्सा चदुसरीरा णत्थिाओरालिय जोगीसु आहाराणुवादस्स आहारीसु च तिसरीरा केवडि खेत्ते? सव्वलोए । चदुसरीरा केवडि खेत्ते ? लोगस्स असंखे०भागे। ओरालियमिस्सकायजोगीसु तिसरीरा केवडि खेत्ते ? सव्वलोगे। आहार-आहारमिस्सकायजोगीसु चदुसरीरा केवडि खेत्ते? लोगस्स असंखेज्जदिभागे। अणाहार कम्मइय० जोगीसु विसरीरा केवडि खेत्ते? सव्वलोगे । तिसरीरा केवडि खेत्तें? लोगस्स असंज्जदिभागे असंखेज्जेसु वा भागेसु सव्वलोगे वा। णवरि कम्मइय० लोगस्स असंखेज्जदिभागो पत्थि । अग्निकायिक पर्याप्त जीवोंमें दो शरीरवाले, तीन शरीरवाले और चार शरीरवाले जीवोंका कितना क्षेत्र है ? लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्र है । बादर वायुकायिक पर्याप्त जीवोंमें चार शरीरवालोंका कितना क्षेत्र है? लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्र है । दो शरीरवाले और तीन शरीरवाले जीवोंका कितना क्षेत्र है? लोकके संख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्र है ।
विशेषार्थ- बादर वायुकायिक पर्याप्त जीवोंका क्षेत्र लोकके संख्यातवें भागप्रमाण होनेसे इनमें दो शरीरवाले और तीन शरीरवाले जीवोंका यह क्षेत्र बन जाता है। शेष कथन सुगम है।
योग मार्गणाके अनुवादसे पाँचो मनोयोगी, पाँचो वचनयोगी, वैक्रियिककाययोगी और वैक्रियिकमिश्रकाययोगी तथा विभग्ङज्ञानी, मनःपर्ययज्ञानी, सामायिकशुद्धिसंयत, छेदोपस्थापनाशुद्धिसंयत, संयतासंयत और सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंमें तीन शरीरवाले और चार शरीरवाले जीवोंका कितना क्षेत्र है ? लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्र है इतनी विशेषता है कि वैक्रियिककाययोगी और वैक्रियिकमिश्रकाययोगी जीवोंमें चार शरीरवाले नहीं है । औदारिककाययोगी और आहारमार्गणाके अनुवादसे आहारकोंमें तीन शरीरवाले जीवोंका कितना क्षेत्र है? सब लोकप्रमाण क्षेत्र है । चार शरीरवाले जीवोंका कितना क्षेत्र है ? लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्र है । औदारिकमिश्रकाययोगी जीवोंमें तीन शरीरवाले जीवोंका कितना क्षेत्र हैं। सब लोक प्रमाण क्षेत्र है ? आहारककाययोगा और आहारमिश्रकाययोगी जीवोंमे चार शरीरवाले जीवोंका कितना क्षेत्र है ? लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्र है । अनाहारकों और कार्मणकाययोगी जोवोंमें दो शरीरवाले जीवोंका कितना क्षेत्र है ? सर्व लोकप्रमाण क्षेत्र है। तीन शरीरवाले जीवोंका कितना क्षेत्र है। लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण, लोकके असंख्यात बहुभागप्रमाण और सर्व लोकप्रमाण क्षेत्र है । इतनी विशेषता है कि कार्मणकाययोगी जीवोंसे
* प्रतिषु 'लोगस्स असंखे भागे' इति पाठः। ता०प्रतो 'आ (अणा) हार-' अ०का०प्रत्वोः 'आहार-' इति पाठः ।
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