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५, ६, १६७, ) बंधणाणुयोगद्दारे सरीरिसरीरपरूवणाए कालपरूवणा (२७३ उक्क० तेवीसं सागरोवमाणि । जह० तेवीसं सागरो० समऊणाणि, उक्क० चवीस सागरोवमाणि । जह० चउबीसं सागरो० समऊणाणि, उक्क०पणुवीसं सामरोवमाणि। जह. पणुवीसं सागरो० समऊणाणि, उक्क छब्बीसं सागरोवमाणि । जह• छब्बीसं सागरो० समऊणाणि, उक्क० सत्तावीसं सागरोवमाणि । जह० सत्तावीसं सागरो० समऊणाणि, उक्क० अट्ठावीसं सागरोवमाणि । जह० अट्ठावीसं सागरो० समऊणाणि, उक्क० एगुणतीसं सागरोवमाणि । जह० एगुणतीसं सागरो० समऊणाणि, उक्क० तीस सागरोवमाणि । जह° तीसं सागरो० समऊणाणि उक्क० एक्कत्तीसं सागरोवमाणि । जह० एक्कत्तीसं सागरो० समऊण्णणि, उक्क० बत्तीसं सागरोवमाणि । जह० बत्तीसं सागरो० समऊणाणि, उक्क० तेत्तीसं सागरोवमाणि । सव्वट्टे जह० तेत्तीसं सागरो० बिसमऊणाणि, उक्क० तेत्तीसं सागरोवमाणि संपुण्णाणि।
__ इंदियाणुवादेण एइंदिएसु बिसरीरा केवचिरं कालादो होति?णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा । एगजीवं प० जह० एगसमओ, उक्क० तिण्णि समया। तिसरीरा केवचिरं का० होति? णाणाजीवं प० सव्वद्धा। एगजीवं प० जह० एगसमओ, उक्क० अंगुलस्स असंखे भागो असंखेज्जाओ ओसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ। चदुसरीरा केवचिरं का० होंति ? णाणाजीवं प० सव्वद्धा। एगजीवं प० जह० एगसमओ, उक्क० अंतोमुहुत्तं । सागर है । प्रथम ग्रैवेयकमें जघन्य काल एक समय कम बाईस सागर है और उत्कृष्ट काल तेईस सागर है। द्वितीय ग्रेवेयकमें जघन्य काल एक समय कम तेईस सागर है और उत्कृष्ट काल चौबीस सागर है। ततीय ग्रंवेयकमें जघन्य काल एक समय कम चौबीस सागर है और उत्कृष्ट काल पच्चीस सागर है। चतुर्थ ग्रेवेयकमें जघन्य काल एक समय कम पच्चीस सागर है और उत्कृष्ट काल छब्बीस सागर है। पांचवें प्रैवेयकमें जघन्य काल एक समय कम छब्बीस सागर है और उत्कृष्ट काल सत्ताईस सागर है। छटे ग्रेवेयकमें जघन्य काल एक समय कम सत्ताईस सागर है और उत्कृष्ट काल अट्ठाईस सागर है । सातवें वेयकमें जघन्य काल एक समय कम अट्ठाईस सागर है और उत्कृष्ट काल उनतीस सागर है । आठवें वेयक में जघन्य काल एक समय कम उनतीस सागर है और उत्कृष्ट काल तीस सागर है । नावें ग्रेवेयकमें जघन्य काल एक समय कम तीस सागर हैं और उत्कृष्ट काल इकतीस सागर है । नौ अनुदिशोंमें जघन्य काल एक नमय कम इकतीस सागर है और उन्कृष्ट काल बत्तीस सागर है। चार अनुत्तरविमानोंमें जघन्य काल एक समय कम बत्तीस सागर है और उत्कृष्ट काल तेतीस सागर है। सर्वार्थसिद्धि में जघन्य काल दो समय कम तेतीस सागर है और उत्कृष्ट काल सम्पूर्ण तेतीस सागर है।
इन्द्रियमार्गणाके अनुवादसे एकेन्द्रियोंमें दो शरीरवालोंका कितना काल है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्वदा काल है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल तीन समय है । तीन शरीरवाले जीवोंका कितना काल है? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्वदा काल हैं । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल अगुलके असंख्यातवें भागप्रमाण है जो असंख्यात अवसर्पिणी-उत्सर्पिणीके बराबर है। चार शरीरवालोंका कितना काल हैं? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्वदा काल है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य काल एक समय
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