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• छक्खंडागमे वमाणा-खंडं
( ५, ६. ६३६
केत्तियमेत्तो विसेसो ? आबलियाए असंखेज्जदिभागमेत्तो । जहण्णाउआदो - उक्कस्साउअं असंखेज्जगणमिदि के वि आइरिया भणंति तमेदेण सह किण्ण विरु... ज्झदे? ण, वक्खामेण सुत्तस्स बाधाभावादो । जबमज्झमरणचरिमसमए मोत्तूण-गुण
सेडिमरणचरिमसमए चेव जहणिया बादरणिमोदवग्गणा होदि त्ति जाणावणठें - . उत्तरसुत्तं भणदि
बावरणिगोदवग्गणाए जहणियाए. आवलियाए असंखेज्जदि.. भागमेत्तो णिगोदाणं ॥ ६३६ ॥
खीणकसायचरिमसमए जहणिया बांधरणिगोदवग्गणा होदि । तत्थ णिगोदाणं पमाणं आवलियाए असंखेन्जविभागो। के "णिगोदा णाम ? पुलवियाओत्र 'एदेण
पल्लंगल-जगसेडि-पदरादीणमसंखेज्जदिभागो पडिसिद्धो । सुत्तेण विणा जणिया , · बादरणिगोदवग्गणा खोणकसायचरिमसमए चेव होदि ति कुदो गव्वदे? सुत्ताविरुध्दाई' इरियवयणादो। जहण्णसुहमणिगोदवग्गणाए पमाणपरूवणहमुत्तरसुत्तं भणदि
विशेषका प्रमाण कितना है ? विशेषका प्रमाण आवलिके असंख्यातवें भागमात्र है।
.: शंका--- जघन्य आयुसे उत्कृष्ट आयु: असंख्यातगुणी है ऐसा- कितने ही आचार्य कहते __ . हैं। उसके साथ विरोध कैसे नहीं होता ? |
. . . समाधाम-- नहीं, क्योंकि व्याख्यानसे सूत्र में बाधा नहीं आती।।
अब यवमध्यमरणके अन्तिम समयको छोडकर गुणश्रेणिमरणके अन्तिम समय में ही - जघन्य बादर निगोद वर्गणा होती है इस बातका ज्ञान करानेके लिए आगेका सूत्र कहते हैं--
7 जघन्य बादर निगोद वर्गणामें निगोदोंका प्रमाण आवलिके असंख्यातवें.भाग' मात्र होता है ।। ६३६ ॥
क्षीणकषायके अन्तिम समयमें जघन्य बादर निगोद वर्गणा होती है। वहाँ निगोदोंका . प्रमाण आवलिके असंख्यातवें भागमात्र है।
शंका-- निगोद कौन है ? - समाधान-- पुलवियाँ ।
इस वचन के द्वारा पल्य. : अङ्गुल, जगश्रेणि और जगप्रतर आदिके असंख्यातवें • भागका प्रतिषेध हो जाता है।
शंका-- सूत्रके बिना जघन्य बादर मिगोद वर्गणा क्षीणकषायके अन्तिम समय में ही होती है यह किस प्रमाणसे जाना जाता है ?
समाधान -- सूत्राविरूद्ध आचार्योंके वचनसे जाना जाता है। अब जघन्य सूक्ष्म निगोद वर्गणाके प्रमाणका कथन करने के लिए आगेका सूत्र कहते हैं
* अ० प्रती ' असंखेमागो भागमेत्तो ' इति पाठ।
४ अ० प्रती 'उक्कस्साउअ संखेज्जगणमिदि ' इति पाठ: । Jain Education International
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