Book Title: Shatkhandagama Pustak 14
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 532
________________ ५, ६, ६४२ ) (३) एदमंतरं 000000000 ००००००००० ००००००० अंतरं वेव्वियसरीराभासा- अंतरं वेउव्वियमणणिव्वत्ति अंतरं वेउव्वियसरीरणिल्लव्वित्तिद्वाणाणि एदाणि -हाणाणि दाणि | वणट्टाणाणि एदाणि ओरालिय सरीरणिव्वत्ति - द्वाणाणि दाणि ०००००००००० ३ यह अन्तर है ००००००००० ००००००० ओरालि यसरीरभासा- ओरालियसरीरमणव्वित्तिद्वाणाणि दाणिणिव्वत्तिट्ठाणाणि एदाणि ये औदारिकशरीर निर्वृत्तिस्थान हैं बंधाणुयोगद्दारे चूलिया अंतर ००००००००० अन्तर ये वैऋियिकशरीरभाषा अन्तर वे वैक्रियिकशरीरमन निर्वृत्तिस्थान हैं निर्वृत्तिस्थान हैं ००००००००००० ००००००००००० निर्वृत्तिस्थान हैं Jain Education International ओरालियस रीरइंदियव्वित्तिद्वाणाणि एदाणि ००००००० ००००००००००० अतर ००००००० अंतरं अन्तर ये औदारिकशरीर भाषा अन्तर ये औदारिकशरीरमन अन्तर निर्वृत्तिस्थान हैं For Private & Personal Use Only ( ४९९ ००००००००००० ओरालियस रीरआणावाण - णिव्वत्तिद्वाणाणि एदाणि अन्तर ००००००००००० अन्तर ये औदारिकशरीरेन्द्रिय अन्तर ये औदारिकशरीरोच्छ्वास निर्वृत्तिस्थान हैं निर्वृत्तिस्थान हैं ००००००००००००० ओरालि यसरीरणिल्लेवाणि दाणि ००००००००००० ये वैयिकशरीर निर्लेपनस्थान हैं ००००००००००० ०००००००००००० ये औदारिकशरीर निर्लेपनस्थान हैं www.jainelibrary.org

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