Book Title: Shatkhandagama Pustak 14
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 531
________________ ४९८ ) ( १ ) एदमंतरं - अंतरं आहारसरीरणिव्वत्ति आहारसरी रिदिय आहारसरीर आणापाण द्वाणाणि दाणि . णिव्यत्तिद्वाणाणि एदाणिणिव्यत्तिद्वाणाणि एदाणि अंतरं ०००००००० (२) एदमंतरं आहारसरीरभासाणिव्वत्तिद्वाणाणि एदाणिणिव्वतिट्ठाणाणि एदाणि ०००००००० यह अन्तर ०००००००० अन्तर ये आहारशरीर निर्वृत्तिस्थान हैं ०००००००० वेव्वियसरीर- वेउव्वियसरीरइंदियव्वित्तिद्वाणाणि एदाणि गिव्वत्तिद्वाणाणि एदाणि छक्खंडागमे वग्गणा - खंड २ यह अन्तर है । ०००००००० अन्तर Jain Education International i आहारसरीरमण ये आहारशरीरभाषा निर्वृत्तिस्थान हैं अन्तर ०००००००० 00000000 ०००००००००० ये आहारशरीरेन्द्रिय निर्वृत्तिस्थान हैं अन्तर ०००००००० अतर अंतरं ०००००००००० ये आहारशरीरमन निर्वृत्तिस्थान हैं ०००००००० For Private & Personal Use Only ( ५, ६, ६४२ ०००००००० आहारसरीरणिल्लेवाणि दाणि ००००००००० ००००००००० वेजव्वियसरीरआणापाण णिव्वत्तिद्वाणाणि एदाणि ये आहारशरीरश्वासोच्छ्वास निर्वृत्तिस्थान हैं - ०००००००० 00000000 000000000 ये वैशिरी अन्तर ये वैक्रियिकशरीरेन्द्रिय अन्तर ये वैक्रियिकशरीरश्वासोच्छ्वास निर्वृत्तिस्थान हैं निर्वृत्तिस्थान हैं निर्वृत्तिस्थान हैं ये आहारशरीर निर्लेपनस्थान हैं 00000000 www.jainelibrary.org

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