Book Title: Shatkhandagama Pustak 14
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 583
________________ ५५० ) छक्खंडागमे वग्गणा-खंड ( ५, ६, ७४१ अगहणदव्ववग्गणाणमुवरि भासावव्ववग्गणा णाम ॥ ७४१ ॥ भासावववग्गणा णाम का ॥ ७४२ ।। सुगमेदं सुत्तदुअं। भासादविवग्गणा चउन्विहाए भासाए गहणं पवत्तदि ॥७४३॥ जा वग्गणा चउविहाए भासाए गहणं होदूण पवत्तदि सा भासादब्यवग्गणा होदि । एदस्स णिण्णयत्थमुत्तरसुत्तं भणदि सच्चभासाए मोसभासाए सच्चमोसभासाए असच्चमोसभासाए जाणि वन्वाणि घेत्तूण सच्चभासत्ताए मोसभासत्ताए सच्चमोसभासत्ताए असच्चमोसभासत्ताए परिणामेदूण णिस्सारंति जीवा ताणि दवाणि भासादव्ववग्गणा णाम ।। ७४४॥ भासादब्वग्गणा सच्च-मोस-सच्चमोस-असच्चमोसभेवेण चउबिहा । एदं चउविहत्तं कुदोणवदे? चउविवह भासाकज्जण्णहाणुववत्तीदो। चउन्विहभासाणं अग्रहणद्रव्यवर्गणाओंके ऊपर जो होती है उसकी भाषाद्रव्यवर्गणा संज्ञा है ।७४१॥ भाषाद्रव्यवर्गणा क्या है ।।७४२॥ ये दो सूत्र सुगम हैं। भाषाद्रव्यवर्गणा चार प्रकारकी भाषारूपसे ग्रहण होकर प्रवृत्त होती है ।७४३। जो वर्गणा चार प्रकारकी भाषारूपसे ग्रहण होकर प्रवृत्त होती है वह भाषाद्रव्यवर्गणा है। अब इसका निर्णय करनेके लिए आगेका सूत्र कहते हैं-- सत्यभाषा, मोषभाषा, सत्यमोषभाषा और असत्यमोषभाषाके जिन द्रव्योंको ग्रहण कर सत्यभाषा, मोषभाषा, सत्यमोषभाषा और असत्यमोषमाषारूपसे परिणामा कर जीव उन्हें निकालते हैं उन द्रव्योंकी भाषाद्रव्यवर्गणा संज्ञा है ।। ७४४ ।। भाषाद्रव्यवर्गणा सत्य, मोष, सत्यमोष और असत्यमोषके भेदसे चार प्रकारकी है। शंका-- यह चार प्रकारकी है यह किस प्रमाणसे जाना जाता है ? समाधाम-- उसका चार प्रकारका भाषारूप कार्य अन्यथा बन नहीं सकता है इससे जाना जाता है कि वह चार प्रकारकी है। चार प्रकारकी भाषाके योग्य जो द्रव्य हैं उन्हें ग्रहण कर तालु आदिके व्यापार द्वारा ४ ता. प्रती ' चउम्विहा 1 तं चउविवहा कूदो' इति पाठ: । * ता० प्रती ' णव्वदे तचउबिह-' इति पाठः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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