Book Title: Shatkhandagama Pustak 14
Author(s): Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Balchandra Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 629
________________ mrr m २३८ ६ ३८ १६ ७८ ३२) परिसिवाणि एयपदेसियपोग्गल| पम्म-सुक्कलेस्सा गणपच्चासत्तिक दव्ववगणा कुडु ४० गोवरपीड एयपदेसियवग्गणा कूड ४९५ गोवुर १२१, १२२ केवलणाण एयबंधण केवलदसण घादखुद्दाभवग्गहण ३६२ कोध-माण-माया घोससम ओघ २३७ लोहभाव ओरालिय ३२३ च उग्गइणिगोद २३६ ओरालिय ओरालिय खइयअविवागपच्चइय- चरिदियलद्धि सरीरबंध ४२ जीवभावबंध १५, १६ चदुसरीर ओरालिय-कम्मइयखइयचारित्त चित्तकम्म सरीरबंध खइयदाणलद्धि चंद ओरालय-तेयासरीरबंध ४२ खइयपरिभोगलद्धि चूलिया ओरालिय-तेया-कम्मइय- खइय भोगलद्धि सरीरबंध खइयलाहलद्धि ओरालियसरीर छट्राण खइयविरियलद्धि ४३४ ओरालियसरीरकायत्त २४२ छवि ४०१ खइयसम्मत ४०१ ओरालियसरीरट्ठाण खंध खीणकसायवीदराग छेदणा ४३२, ४३३ ४३५, ४३६ क छदुमत्थ कडय ४० खीणकोह कणय खीणदोस जवमझ ५०, ४०२, ५०२ कदजुम्म १४७ खीणमाय ५०३ जहण्णपद खीणमोह ३९२ ४३३ जहण्णपदमीमांसा कम्मइय ३९७ खीणराग ३२८ जहण्णुक्कस्सपद खीणलोह कम्मइय-कम्मइय ३९२ जाण खेत्त सरीरबंध ४४ खेत्तवग्गणा जिद कम्मइयदव्ववग्गणा जीवत्त ६३, ५५३ जीवण कम्मइयसरीर ७८ गड्डी ३८ जीवभाव कम्मबंध गणी २२ जीवपदेससण्णा कम्मवग्गणा ५२ | गहणपाओग्ग जीवभावबंध कलिओज १४७ गंथ कार्मण ३२९ गंथसम कार्मणशरीर ३२८, ३२९ गिल्ली काल गिह ट्रवणबंध कालवग्गणा ५२ गिहकम्म ट्रवणवग्गणा ५२ किण्ण-णील-का उ-तेउ ३२१ | 8वणा ४३५ कम rurr .wmum or -1३१ ५४३ जुग ३८ टंक ४९५ गुणगार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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