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बंधणाणुयोगद्दारे चूलिया सत्थाणे विसेसाहियाणि ।
एत्थ अप्पाबहुअं- सम्वत्थोवाणि ओरालियसरीरस्स आणा -- पाणभासा-मणणिव्वत्तिट्ठाणाणि ॥ ६७४ ॥
कारणं सुगमं ।
वेउव्वियसरीरस्स आणापाण-भासा-मणणिवत्तिट्ठाणाणि विसेसाहियाणि ॥ ६७५ ।।
ओरालियसरीरस्स आणापाणणिवत्तिट्टाणेहितो वेउब्वियसरीरस्स आगापागणिवत्तिट्टाणाणि विसेसाहियाणि । ओरालियसरीरस्स भासाणिव्वत्तिवाहितो वेउब्वियसरीरस्स भासाणिवत्तिट्टाणाणि विसेसाहियाणि । ओरालियसरीरस्स मणणिवत्तिट्राणेहितो वेउब्वियसरीरस्स मणणिवत्तिढाणाणि विसेसाहियाणि । सव्वत्थ विसेसपमाणमावलि. असंखेज्जदिभागो।
आहारसरीरस्स आणापाण-भासा-मणणिवत्तिट्ठाणाणि विसेसाहियाणि ॥ ६७६ ।।
वेउब्वियसरीरस्स आणापाणणिव्वत्तिट्टाणेहितो आहारसरीरस्स आणापाणणिवत्तिट्ठाणाणि विसेसाहियाणि विउव्वियसरीरस्स भासाणिवत्तिट्ठाणेहितो आहार
भी स्वस्थानमें क्रमसे विशेष अधिक हैं ।
यहाँ अल्पबहुत्व- औदारिकशरीरके आनापान, भाषा और मनोनिवृत्तिस्थान सबसे स्तोक हैं ॥६७४।।
__ कारण सुगम है।
वैक्रियिकशरीरके आनापान, भाषा और मनोनिर्वत्तिस्थान विशेष अधिक हैं ॥६७५।।
__ औदारिकशरीरके आनापान निवृत्तिस्थानोंसे वैक्रियिकशरीरके आनापाननिर्वृत्तिस्थान विशेष अधिक है। औदारिकशरीरके भाषानिर्वत्तिस्थानोंसे वैक्रियिकशरीरके भाषानिर्वृत्तिस्थान विशेष अधिक है। तथा औदारिकशरीरके मननिर्वत्तिस्थानोंसे वैक्रियिकशरीरके मननिर्वत्तिस्थान विशेष अधिक हैं । सर्वत्र विशेषका प्रमाण आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण है ।
___ आहारकशरीरके आनापान, भाषा और मनोनिवृत्तिस्थान विशेष अधिक हैं ॥६७६॥
वैक्रियिकशरीरके आनापाननिर्वृत्तिस्थानोंसे आहारकशरीरके आनापाननिर्वृत्तिस्थान विशेष अधिक हैं । वैक्रियिकशरीरके भाषानिर्वृत्तिस्थानोंसे आहारकशरीरके भाषानिर्वृत्तिस्थान
* ता० प्रती ' आणापाणभामाणिव्वत्तिट्ठाणाणि' इति पाठः ।
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