________________
३२४ )
छक्खंडागमे वग्गणा-खंडं
( ५, ६, २३७
जाणासमयसंचिदपदेसा अणंतगणा । को गुण.? अभवसिद्धिएहि अणंतगणो सिद्धाणमणंतभागो। विस्सासुवचयं पडुच्च सम्वत्थोवा ओरालियसरीरस्स जहण्णो विस्सासुवचओ । तस्सेवक्कस्सओ असंखे०गणो । को गण. ? पलिदो० असंखे०भागो । वेउव्वियसरीरस्स जहण्णओ विस्सासुवचओ अणंतगणो । को गुण ? सव्वजोवेहि अणंतगणो । तस्तेव उक्कस्सओ असंखे०गणो । को गण? पलिदो० असंखे०भागो। आहारसरीरस्स जहण्णओ विस्सासुवचओ अणंतगणो । को गुण० ? सव्वजोवेहि अणंतगणो। तस्सेव उक्कस्सओ विस्सासुवचओ असंखे० गुणो । को गुण०? पलिदो० असंखेज्जदिभागो । तेजासरीरस्स जहण्णओ विस्सासुवचओ अणंतगणो । को गण० ? सव्वजीवेहि अणंतगणो। तस्सेवुक्कस्सओ विस्सासुवचओ असंखे० गणो। को गण? पलिदो० असंखे०भागो। कम्मइयसरीरस्स जहण्णस्स जहण्णओ* विस्सासुवचओ अणंतगणो । को गुण०? सव्वजोवेहि अणंतगणो । तस्सेव उक्कस्सओ विस्सासुवचओ असंखे०गणो।को गुण? पलिदो? असंखे०भागो, एवम्हादो अप्पाबहुगादो णव्वदे सुत्तेण विणा एवं कुदो जव्वदे? बंधणगणाविभागपडिच्छेदप्पाबहुअसुत्तसिद्धत्तादो । तं जहासम्वत्थोवा ओरालियसरीरस्त अविभागपडिच्छेदा । वेउब्वियसरीरस्स अविभागपडिच्छेदा अणंतगणा । आहारसरीरस्स अविभागपडिच्छेवा अणंतगुणा । तेयासरीरस्स नाना समयोंमें संचित हुए प्रदेश अनन्तगुणे हैं। गुणकार क्या है ? अभव्योंसे अनंतगुणा और सिद्धोंके अनन्तवें भागप्रमाण गुणकार है। विस्रसोपचयकी अपेक्षा औदारिकशरीरका जघन्य विस्रसोपचय सबसे स्तोक है। उससे उसीका उत्कृष्ट विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गणकार है। उससे वैऋियिकशरीरका जघन्य विस्रसोपचय अनंतगुणा है । गुणकार क्या है ? सब जीवोंसे अनंतगुणा गुणकार है। उससे उसीका उत्कृष्ट विस्रसोपचय अनंतगुणा है। गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। उससे आहारकशरीरका जघन्य विस्रसोपचय अनंतगुणा है । गुणकार क्या है ? सब जीवोंसे अनंतगुणा गुणकार है। उससे उसीका उत्कृष्ट विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है। गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। उससे तैजसशरीरका जघन्य विस्रसोपचय अनन्तगुणा है । गुणकार क्या है ? सब जीवोंसे अनन्तगुणा गुणकार है । उससे उसीका उत्कृष्ट विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। उससे कार्मणशरीरके जघन्यका जघन्य विस्रसोपचय अनंतगुणा है । गुणकार क्या है? सब जीवोंसे अनंतगुणा गुणकार है। उससे उसीके उत्कृष्ट विस्रसोपचय असंख्यातगुणा है । गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। इसे अल्पबहुत्वसे जाना जाता है ।
शंका-- सूत्रके बिना यह कैसे जाना जाता है ?
समाधान-- यह अल्पबहुत्व बन्धनगुणके अविभागप्रतिच्छेदोंके अल्पबहुत्वका प्रतिपादन करनेवाले सूत्रसे सिद्ध है। यथा औदारिकशरीरके अविभागप्रतिच्छद सबसे स्तोक हैं। उनसे वैक्रयिकशरीरके अविभागप्रतिच्छेद अनन्तगुणे हैं। उनसे आहारकशरीरके अविभागप्रतिच्छेद
*ता० प्रती - सरीरस्स जहण्णओ' इति पाठः ।
HTTHHHHH
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org'