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३७२)
छक्खंडागमे वग्गणा-खंड
जहा- चरिमणिसेयं दृविय, ओरालियसरीरस्स णाणागणहाणिसलागाओ असंखेज्जपलिदोवमपढमवग्गमलमेत्ताओ विरलिय विगं करिय अण्णोण्णभत्थरामिणा असंखेज्जलोगपमाणेण अंतोमहत्तमेत्तदिवड्डगणहाणिगणिवेण गणिदे समयपबद्धवव्वं होवि । तेणेव गुणगारेण णाणासमयपबद्ध भागे हिदे चरिमणिसेगो आमच्छदि । तेण भागहारो असंखेज्जलोगो त्ति सिद्ध ।
एवं चदण्णं सरीराणं ॥३३६ ॥
तं जहा- वेउब्धियसरीरस्स उक्कस्सियाए टिवीए पदेसग्ग सम्वदिदिपदेसग्गाणं केवडिओ भागो ? असंखे०भागो। तस्स को पडिमागो ? असंखेज्जा लोगा। आहारसरीरस्स उक्कस्सियाए द्विदीए पदेसरगं सव्वढिविपदेसग्गाणं केवडिओ भागो? असंखे० भागो। तस्स को पडिभागो ? अंतोमहत्तं । एवं तेजा-कम्मइयसरीराणं । गरि पडि भागो अंगलस्स असंखे० भागो।
___ अजहण्ण-अणुक्कस्सपदेण ओरालियसरीरस्स अजहण्ण-- अणुक्कस्सियाए द्विदीए पदेसग्गं सवट्ठिविपदेसग्गस्स केवडिओ भागो ॥ ३३७ ॥
सुगमं ।
लोक प्रतिभाग है यथा- अन्तिम निषेकको स्थापित करके औदारिकशरीरकी पल्यके असंख्यात प्रथम वर्गमूलप्रमाण नाना गुणहानिशलाकाओंका विरलन करके और विरलित राशिके प्रत्येक एकको दुना करके परस्पर गुणा करनेसे जो असंख्यात लोकप्रमाण राशि उत्पन्न हो उसे अन्तमुहूर्त मात्र डेढ गुणहानिसे गुणित करने पर जो आवे उससे गुणित करने पर समयप्रबद्धका द्रव्य होता है। तथा उसी गणकारका नाना समयप्रबद्धोंमें भाग देने पर अन्तिम निषेक आता है। इसलिए भागहार असंख्यात लोक प्रमाण है यह सिद्ध होता है।
इसी प्रकार चार शरीरोंका भागाभाग कहना चाहिए ॥ ३३६ ॥
यथा- क्रियिकशरीरकी उत्कृष्ट स्थितिका प्रदेशाग्र सब स्थितियों के प्रदेशाग्रोंके कितने भागप्रमाण है ? असंख्यातवें भागप्रमाण है। उसका प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोकप्रमाण प्रतिभाग है । आहारकशरीरकी उत्कृष्ट स्थितिका प्रदेशाग्र सब स्थितियों के प्रदेशाग्रों के कितने भागप्रमाण है ? असंख्यातवें भागप्रमाण है। उसका प्रतिभाग क्या है ? अन्तर्मुहर्त प्रतिभाग है। इसी प्रकार तैजसशरीर और कार्मणशरीरके विषय में जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि यहाँ पर प्रतिभाग अङगुलके असंख्यातवें भागप्रमाण है।
___ अजघन्य- अनत्कृष्टपदको अपेक्षा औदारिकशरीरको अजघन्य-अनत्कृष्टस्थितिका प्रवेशाग्र सब स्थितियोंके प्रदेशाग्रके कितने भागप्रमाण है ।। ३३७ ।।
यह सूत्र सुगम है। ४ अ० आ० प्रत्योः ‘एग' इति पाठ;
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