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३९० )
छक्खंडागमे वग्गणा-खंड
( ५, ६, ३९८
को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जविभागो असंखेज्जाणि: पलिदोवमपढमवग्गमलाणि ।
वेउव्वियसरीरस्स णाणापदेसगुणहाणिट्ठाणंतराणि संखेज्जगुणाणि ॥ ३९८॥
को गुण ? असंखेज्जा समया। कुदो ? दोणं गुणहाणिअद्धाणाणि सरिसाणि होदूण तेहि विहज्जमाणतिपलिदोवमेहितो तेत्तीससागरोवमाणं संखेज्जगणत्तदसणादो।
एवं उक्कस्सपदप्पाबहुअं समत्तं । जहण्णुक्कस्सपदेण सव्वत्थोवाणि आहारसरीरस्स णाणापवेसगुणहाणिट्ठाणंतराणि ॥ ३९९ ।। कुदो ? संखेज्जरूवत्तादो।
ओरालिय-वेउन्विय-आहारसरीरस्स एयपदेसगुणहाणिट्ठाणंतरमसंखेज्जगुणं ।। ४०० ॥ कुदो ? तिण्णि वि गुणहाणिट्ठाणंतराणि सरिसाणि होदूण अंतोमहत्तपमाणत्तादो।
कम्मइयसरीरस्स णाणापदेसगुणहाणिट्ठाणंतराणि असंखेज्जगुणाणि ॥४०१॥
गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। जो कि पल का असख्यातवां भाग पल्यके असंख्यात प्रथम वर्गमूलप्रमाण है।
उनसे वैक्रियिकशरीरके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर संख्यातगणे हैं ।३९८॥
गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है, क्योंकि, दोनोंके गुणहानिअध्वान समान हैं इसलिए उनसे भाजित किये जानेवाले तीन पल्योंसे तेतीस सागर संख्यातगुणे देखे जाते हैं।
इस प्रकार उत्कृष्टपदकी अपेक्षा अल्पबहुत्व समाप्त हुआ। जघन्य-उत्कृष्टपदको अपेक्षा आहारकशरीरके नानाप्रदेशगणहानिस्थानान्तरसबसे स्तोक हैं । ३९९ ।।
क्योंकि, उनका प्रमाण संख्यात है।
उनसे औदारिकशरीर, वैक्रियिकशरीर और आहारकशरीरका एकप्रदेशगणहानिस्थानान्तर असंख्यातगणा है । ४०० ।
क्योंकि, तीन ही गुणहानिस्थानांतर सदृश होते हुए प्रत्येकका अध्वान अतर्मुहूर्तप्रमाण है।
उनसे कार्मणशरीरके नानाप्रदेशगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगणे हैं।४०१। 8 का० प्रती ' को गुणगारो असंखेज्जाणि ' इति पाठ।।
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