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५, ६, ५२२ ) बंधणाणुयोगदारे विस्सासुवचयपरूवणा
मच्चत्तओदइयभावाणं सव्वलोगागासपदेसमाऊरिय टियाणं विस्सासुवचयपरूवणा कीरदे, तदो पउणरुत्तियाभावादो परूवेदव्वा त्ति सिद्धं । एक्केक्कम्हि जीवपदेसे इदि उत्ते एक्केक्कम्हि परमाणुम्हि त्ति घेत्तन्वं । कधं परमाणुस्स जीवपदेसण्णा? आधेये आधारोवयारादो। ण च जीवादो अवेदाणमाधाराधेयभावो णत्थि, भदपुव्वर्गादणाएण तदुवलंभादो । जीव-पोग्गलाणमण्णोग्णाणुगयत्ते परमाणुस्स वि जीवपदेसववएसाविरोहादो वा । सेसं सुगमं ।
अणंता विस्सामवचया उचिदा सव्वजोवेहि अणंतगणा ॥५२१॥
पंचण्णं सरीराणं एक्केको परमाण जीवमक्को वि संतो सव्वजीवे अणंतगणमेत्तविस्सासुवचएहि उवचिदो होदि । तेण कारणेण एदे धवक्खंधसांतरणिरंतरवग्गणासु सरिसधणिया होदूण णिवदंति ।
ते च सवलोगागदेहि बद्धा ॥ ५२२ ।। किममिदं सुतं वुच्चदे ?
एयक्खेत्तोगाढं सव्वपदेसेहि कम्मणो जोग्गं ।
बंधइ जहुत्तहेऊ सादियमह अणादियं चेदि ।। २१ ।। इदि वयणादो जम्हि पदेसे जो जीवो टिदो तत्थ टिदा चेव पोग्गला मिच्छत्तादिस्थित हैं ऐसे जीवके द्वारा छोडे गये पाँच शरीरोंको विस्रसोपचयप्ररूपणा करते हैं, इसलिए पुनरुक्त दोषका अभाव होनेसे उसका कथन करना चाहिए यह सिद्ध होता है।
एक एक जीवप्रदेश पर ऐसा कहने पर एक एक परमाणुपर ऐसा ग्रहण करना चाहिए। शंका-- परमाणुकी जीवप्रदेश संज्ञा कैसे है ?
समाधान-- आधेयमें आधारका उपचार करनेसे परमाणुकी जीवप्रदेश संज्ञा है । यदि कहा जाय कि जो जीवके द्वारा नहीं वेदे जा रहे हैं उनमें आधार-आधेयभाव नहीं बन सकता, सो यह कहना भी ठीक नहीं है, क्योंकि, भूतपूर्व गतिन्यायके अनुसार आधार-आधेयभावकी उपलब्धि हो जाती है। अथवा जीव और पुद्गलोंके परस्परमें अनुगत होने पर परमाणकी भी जीवप्रदेश संज्ञा होने में कोई विरोध नहीं आता।
शेष कथन सुगम है। अनन्त विस्रसोपचय उपचित हैं जो कि सब जीवोंसे अनन्तगुणे हैं ॥ ५२१॥
पाँच शरीरोंका एक एक परमाणु जीवसे मुक्त होकर भी सब जीवोंसे अनन्तगुणे विस्रसोपचयोंसे उपचित होता है, इसलिए ये ध्रुवस्कन्धसान्तरनिरन्तर वर्गणाओं में समान धनवाले हो कर अन्तर्भावको प्राप्त होते हैं।
वे सब लोकमेंसे आकर बद्ध हुए हैं ॥ ५२२ ।। शंका-- यह सूत्र किसलिए कहते हैं ?
समाधान-- अपने अपने कहे गये हेतुके अनुसार कर्म के योग्य सादि, अनादि और सब जीवप्रदेशोंके साथ एक एक क्षेत्रावगाहीपनेको प्राप्त हुआ पुद्गल बँधता है ॥ २१ ॥
इस वचनके अनुसार जिस प्रदेश पर जो जीव स्थित है वहां स्थित जो पुद्गल हैं वे ही
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