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५, ६, ५१८ )
बंधणाणुयोगद्दारे सरीरविस्सासुवचयपरूवणा
परूवणा कदा सेससरीराणं किण्ण कदा ? ण, एककस्स परूवणदाए कदाए ततो चेव सेसाणं सरूवावगमादो । उवरि भण्णमाणअप्पाबहुगादो च णवदे जहा सेसाणं पि सरीराणं एसेव परूवणा होदि ति । तेसिमविभागपडिच्छेदाणमभावे उवरिमअप्पाबहुआणुववत्तीए।
अप्पाबहुए ति सम्वत्थोवा ओरालियसरीरस्स अविभागपडिच्छेदा ॥ ५१५ ।।।
ओरालियसरीरस्स अणंतपरमाणूणं अविभागपडिच्छेदसमूहो थोवो होदि । कुदो ? साभावियादो।
वेउब्वियसरीरस्स अविभागपडिच्छेदा अणंतगुणा ॥ ५१६ ॥ को गुणगारो ? सबजोवेहि अणंतगुणो । आहारसरीरस्स अविभागपडिच्छेदा अगंतगुणा ।। ५१७ ।। को गण० ? सव्वजोवेहि अणंतगुण।। तेयासरीरस्स अविभागपडिच्छेदा अणंतगणा ॥ ५१८ ॥ को गण ? सव्वजोवेहि अणंतगणो ।
शरीरोंके अविभागप्रतिच्छेद आदिका कथन क्यों नहीं किया ?
समाधान-- नहीं, क्योंकि, एकका कथन करने पर उसीसे शेषके स्वरूपका ज्ञान हो जाता है। तथा आग कहे जानेवाले अल्पबहुत्वसे भी जानते हैं कि शेष शरीरोंकी भी यही प्ररूपणा है। यदि उनके अविभागप्रतिच्छेद न हों तो आगे कहा जानेवाला अल्पबहुत्व नहीं बन सकता है।
अल्पबहुत्वको अपेक्षा औदारिकशरीरके अविभागप्रतिच्छेद सबसे स्तोक हैं ॥५१५ ।।
__ औदारिकशरीरके अनन्त परमाणुओंके अविभागप्रतिच्छेदोंका समूह स्तोक है, क्योंकि, ऐसा स्वभाव है।
उनसे वैक्रियिकशरीरके अविभागप्रतिच्छेद अनन्तगणे हैं ॥ ५१६ ।। गुगकार क्या है ? सब जीवोंसे अनन्तगुणा गुणकार है। उनसे आहारकशरीरके अविभाग प्रतिच्छेद अनन्तगुणे हैं ॥ ५१७ ॥
गुणकार क्या है ? सब जीवोंसे अनन्तगुणा गुणकार है। उनसे तेजसशरीरके अविभागप्रतिच्छेद अनन्तगणे हैं ।। ५१८ ॥ गुणकार क्या है ? सब जीवोंसे अनन्तगुणा गुणकार है।
* ता० प्रती ' सरूवागमादो' इति पाठः
प्रत्योः - ववत्ती' इति पाठ ।
8 ता० प्रतो '-णुववत्ती (ए-)' अ० का०
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