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५, ६, ३४२ )
बंणानुयोगद्दारे सरीरपरूवणाए पदेसविरओ
पढमवग्गमूलं पावदि । तं सई वग्गिदं पलिदोवमं पावदि । संपहि पलिदोवमादो हेट्ठा असंखेज्जाणि वग्गणद्वाणाणि ओसरिदूण सूचियंगुलच्छेदणयाणमुवरि तस्सेव उवरिमवग्गादो हेट्ठा घणलोगच्छेदणया होंति त्ति परियम्मे भणिदं । पुणो एदे विरलिय fai करिय अण्णोषण भत्थे कदे घणलोगो उप्पज्जदि त्ति भणिदं होदि । ओरालियसरीरस्स पुण णाणागुणहाणिसलागाणं पमाणं जदि घणलोगच्छेदणयमेत्तं होदि तो ओरालि यसरी रण्णोष्ण मत्थरासिपमाणं घणलोगमेत्तं चेव होदि । अथ जदि जत्तिया जगपदरच्छेदणया घणलोगच्छेदणया च तत्सियाओ ओरालियस रीरणाणागुणहाणिसलागाओ होंति तो ओरालियसरीरस्स अण्णोष्णब्भत्थरासिपमाणं जगपदर गुणिदघणलोगमेत्तं होदि । ण च एदं । कुदो ? घणलोगच्छेदणएहितो पलिदोवमपढमवग्गमूलादो च ओरालियस रीरणाणागुणहाणिसला गाणमसंखेज्जगुणत्तुवलंभादो । एदं कुदो उवलब्भदे ? जुत्तदो । तं जहा- ओरालियसरीरस्स एगपदेसगुणहाणिअद्धाणं संखेज्जावलियमेत्तं होण अंतोमुहुत्तं होदि । एवं च कुदो णव्वदे ? वग्गणपरंपरोवणिधसुत्तादो। पुणो एत्तियमद्धाणं गंतॄण जदि एगगुणहाणिसलागा लब्मदि तो तिष्णं पलिदोवमाणं किं लभामो त्ति पमाणेण फलगुणिदिच्छाए ओवट्टिदाए आवलि०
वर्गणास्थान ऊपर जाकर पल्यका प्रथम वर्गमूल प्राप्त होता है । उसका एकबार वर्ग करने पर पल्यका प्रमाण प्राप्त होता है । अब पल्यसे नीचे असंख्यात वर्गणास्थान उतर कर सूच्यंगुलके अर्धच्छेदोंके ऊपर तथा उसीके उपरिम वर्गसे नीचे घनलोकके अर्धच्छेद होते हैं ऐसा परिकर्म में कहा है । पुनः इनका विरलन कर और विरलितराशिके प्रत्येक एकको दूना कर परस्पर गुणा करने पर घनलोक उत्पन्न होता है यह उक्त कथनका तात्पर्य है । परन्तु ओदारिकशरीर की नानागुणहानिशलाकाओंका प्रमाण यदि घनलोक के अर्धच्छेदप्रमाण होता है तो औदारिकशरीरकी अन्योन्याभ्यस्त राशिका प्रमाण घनलोकप्रमाण ही होता है । और जितने जगप्रतरके अर्धच्छेद और घनलोकके अर्धच्छेद हैं उतनी यदि औदारिकशरीरकी नानागुणहानिशलाकायें होती हैं तो औदारिकशरीरको अन्योन्याभ्यस्त राशिका प्रमाण जगप्रतरसे गुणित घनलोकप्रमाण होता है । परन्तु ऐसा है नहीं क्योंकि, घनलोकके अर्धच्छेदों और पल्यके प्रथम वर्गमूलसे औदारिकशरीरकी नानागुणहानिशलाकायें असंख्यातगुणी उपलब्ध होती हैं ।
शंका -- यह किस प्रमाणसे जाना जाता है ?
समाधान-- - युक्तिसे । यथा- औदारिकशरीरका एक प्रदेश गुणहानिअध्वान संख्यात आवल होकर अन्तर्मुहूर्तप्रमाण है ।
शका -- यह भी किस प्रमाणसे जाना जाता है ?
समाधान -- वर्गणापरम्परोपनिधा सूत्रसे जाना जाता है ।
पुनः इतना अध्वान जाकर यदि एक गुणहानिशलाका प्राप्त होती है तो
तीन पल्यों का
क्या प्राप्त होगा इस प्रकार फलराशिसे गुणित इच्छाराशि में प्रमाण शिका भाग देने पर
ता० प्रो' हेट्ठा संखेज्जाणि' इति पाठ: 1
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