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arखंडागमे वग्गणा-खंड
पढमाए हिदीए पदेसग्गं संखेज्जगुणं ।। ३८० ।।
को गुण ० ? संखेज्जा समया । किंचूणण्णोष्णमत्थरासि त्ति भणिदं होदि चरिमे गुणहाणिट्ठाणंतरे पवेसग्गमसंखेज्जगुणं ॥ ३८१ ॥ को गुण० ? सगदिवडुगुणहाणीए संखेज्जदिभागो ।
३८६ )
अपढम- अचरिमेसु गुणहाणिट्ठाणंतरेस पदेसग्गं संखेज्ज - गुणं ॥ ३८२ ।।
? संखेज्जा समया । चदुरूवूणअण्णोष्णन्मत्थरासिस्त अद्धमिदि
को गुण ०
भणिदं होदि ।
अपढमेसु गुणहाणिट्ठाणंतरेसु पदेसग्गं विसेसाहियं । ३८३ । केत्तियमेत्तो विसेसो ? चरिमगुणहाणिदव्वमेत्तो ।
पढमे गुणहाणिट्ठाणंतरेस पवेसग्गं विसेसाहियं ॥ ३८४ ॥ के० विसेसो ? चरिमगुणहाणिदव्वमेत्तो । अचरिमेसु गुणहाणिट्ठाणंतरेसु पदेसग्गं विसेसाहियं । ३८५ | के० विसेसो ? चरिमगुणहाणिदव्वमेत्तेणूण बिदियादिगुणहाणिमेत्तो ।
उससे प्रथम स्थिति में प्रदेशाग्र संख्यातगुणा है ।। ३८० ॥
( ५, ६, ३८०
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गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है यह उक्त कथनका तात्पर्य है ।
उससे अन्तिम गुणहानिस्थानान्तर में प्रदेशाग्र असंख्यातगुणा है ॥ ३८१ ॥ गुणकार क्या है ? अपनी डेढ गुणहानिके संख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है । उससे अप्रथम अचरम गुणहानिस्थानान्तरोंमें प्रदेशाग्र संख्यातगुणा है । ३८२ । गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है । चार कम अन्योन्याभ्यस्त राशिका भागप्रमाण गुणकार है यह उक्त कथनका तात्पर्य है । उससे अप्रथम गुणहानिस्थानान्तरोंमें प्रदेशाग्र विशेष अधिक है ।। ३८३ ।। विशेषका प्रमाण कितना है ? अन्तिम गुणहानिके द्रव्यका जितना प्रमाण है उतना है । उससे प्रथम गुणहानिस्थानान्तर में प्रदेशाग्र विशेष अधिक है ।। ३८४ । विशेषका प्रमाण कितना है ? अंतिम गुणहानिके द्रव्यका जितना प्रमाण है उतना है । उससे अचरम गुणहानिस्थानान्तरों में प्रदेशाग्र विशेष अधिक है ।। ३८५ ।। विशेषका प्रमाण कितना है ? द्वितीय आदि गुणहानियोंके द्रव्यमेंसे अन्तिम गुणहानि द्रव्यको कम करनेपर जो शेष रहे उतना है ।
गुणकार है । कुछकम अन्योन्याभ्यस्त राशिप्रमाण
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