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छक्खंडागमे वग्गणा-खंड
( ५, ६, १७०
असरीरा अणंतगुणा ॥१७॥
को गणगारो? सिद्धाणमसंखे०भागो । खो पडिभागो ? चदुसरीरजीवा पडिभागो।
बिसरीरा अणंतगुणा ॥१७१।।
कुदो ? अंतोमहत्तेण खंडिवसव्वजोवरासिपमाणत्तादो । को गुणगारो ? सव्व. जीवरासिस्स अणंतिमभागो । को पडिभागो ? अंतोमहत्तगणिवसिद्धरासी।
तिसरीरा असंखेज्जगुणा ॥१७२।। को गणगारो ? अंतोमहुतं ।
आदेसेण गदियाणुवादेण णिरयगदीए रइएस सम्वत्थोवा विसरीरा ॥१३॥
कुदो ? जेरइयरासि आवलियाए असंखेज्जदिमागेण खंडिवएयखंडपमाणत्तादो। तिसरीरा असंखेज्जगुणा ॥१७४।।
को गुणगारो ? आवलियाए असंखेज्जदिभागो । असखेज्जवासाउएसु पलिदोवमस्स असंखेज्जदिमागो।
उनसे अशरीरी जीव अनन्तगणे हैं । १७०॥
गुणकार क्या है ? सिद्धोंका असंख्यातवां भाग गुणकार है । प्रतिभाग क्या है ? चार शरीरवाले जीवोंका प्रमाण प्रतिभाग है।
उनसे दो शरीरवाले जीव अनन्तगुणे हैं ॥ १७१ ।।
क्योंकि, सब जीवराशिमें अन्तर्मुहूर्तका भाग देने पर जो लब्ध आवे उतना इनका प्रमाण है। गुणकार क्या है ? सब जीवराशिका अनन्तवां भाग गुणकार है । प्रतिभाग क्या है ? अन्तर्महुर्तसे गुणित सिद्धराशि प्रतिभाग है।
उनसे तीन शरीरवाले जीव असंख्यातगणे हैं ॥ १७२ ।।
गुणकार क्या है ? अन्तर्मुहूर्तप्रमाण गुणकार है।
आवेशकी अपेक्षा गतिमार्गणाके अनुवादसे नरकगतिकी अपेक्षा नारकियों में दो शरीरवाले जीव सबसे स्तोक हैं ॥ १७३ ।।
क्योंकि, नारक राशिमें आवलिके असंख्यातवें भागका भाग देनेपर जो लब्ध आवे तत्प्रमाण वहाँ दो शरीरवाले जीव हैं।
उनसे तीन शरीरवाले जीव असंख्यातणे हैं ।। १७४ ।।
गुणकार क्या है ? आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है । तथा असंख्यात वर्षकी आयुवालोंमें पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है।
६ प्रतिष । चदूसरीरजीवपडिमागो' इति पाठ11
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