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छक्खंडागमे वग्गणा-खंडं पज्जत्ताणं सुहमेइंदियपज्जत्तापज्जत्तभंगो। वणप्फविकाइय० बिसरीरा तिसरीरा ओघं । बादरवणप्फदिकाइय० बिसरीर-तिसरीराणं बावरेइंदियमंगो। बावरवणप्फदिकाइयपज्जत्त० बिसरीर-तिसरीराणं बादरेइंदियपज्जत्तभंगो । बादरवणप्फदिअपज्जत्ताणं बादरेइंदियअपज्जत्तभंगो । सुहमवणफदिपज्जत्तापज्जत्ताणं देहु मेइंदियपज्जतापज्जत्तभंगो। णिगोदजीबा बिसरीरा तिसरीरा ओघं । बादरणिगोदजीव० बिसरीर-तिसरीराणं बादरेइंबियभंगो। बादरणिगोदजीवपज्जत्त० बिसरीर तिसरीराणं बादरेइदिवपज्जत्तभंगो । बादरणिगोदजीवअपज्जत्ताणं बादरेइंदियअपज्जत्तभंग्रो । सुहमणिगोदपज्जत्तापाजत्ताणं सुहमेइंदियपज्जत्तापज्जत्तभंगो। तस० तस०पज्जत्ताणं पंचिबियपज्जत्ताणं भंगो । णवरि विसेसो सगदिदी भाणियन्वा । तसअपज्जत्ताणं पंचिदियअपज्जतमंगो।
जोगाणुवादेण पंचमण० पंचवचि० तिसरीर-चदुसरीराणमंतरं णाणेगजीवे पडुच्च उभयदो पत्थि। कायजोगि० बिसरीर-तिसरीर-चदुसरीरा ओघं । गवरि चदुसरीर० एयजीवस्स उक्क० पलिदो० असंखे०भागो । ओरालियकायजोगि० तिसरीराणमंतरं केवचिरं कालादो होदि? जाणाजी० पडुच्च पत्थि अंतरं । एगजोवं प० जहण्णुक्कस्सेण एकेन्द्रिय और उनके पर्याप्त व अपर्याप्त जीवोंके समान है । वनस्पतिकायिक जीवों में दो शरीर वाले और तीन शरीरवाले जीवोंका भंग ओघके समान है। बादर वनस्पतिकायिकोंमें दो शरीरवाले और तीन शरीरवाले जीवोंका भंग बादर एकेन्द्रियों के समान है। बादर वनस्पतिकायिक पर्याप्त जीवोंमें दो शरीरवाले और तीन शरीरवाले जीवोंका भंग बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकोंके समान है। बादर वनस्पतिकायिक अपर्याप्त जीवोंमें बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्त जीवोंके समान भंग है। सूक्ष्म वनस्पतिकायिक और उनके पर्याप्त व अपर्याप्त जीवोंका भंग सूक्ष्म एकेन्द्रिय और उनके पर्याप्त व अपर्याप्त जीवोंके समान है। निगोद जीवोंमें दो शरीरवाले और तीन शरीरवाले जीवोंका भंग ओघके समान है। बादर निगोद जीवोंमें दो शरीरवाले और तीन शरीरवाले जीवोंका भंग बादर एकेन्द्रियोंके समान है। बादर निगोद पर्याप्त जीवोंमें दो शरीरवाले और तीन शरीरवाले जीवोंका भंग बादर एकेन्द्रिय पर्याप्तकों के समान है। बादर निगोद अपर्याप्त जीवोंका भंग बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तकोंके समान है। सूक्ष्मनिगोद तथा उनके पर्याप्त और अपर्याप्त जीवोंका भग सूक्ष्म एकेन्द्रिय तथा उनके पर्याप्त और अपर्याप्त जीवोंके समान है। त्रस और त्रस पर्याप्त जीवोंका भंग पञ्चेन्द्रिय और पञ्चेन्द्रियपर्याप्त जीवोंके समान है। इतना विशेष है कि अपनी अपनी स्थिति कहनी चाहिए । त्रस अपर्याप्तर्कोका भंग पञ्चेन्द्रिय अपर्याप्तकोंके समान है।
योग मार्गणाके अनुवादसे पाँचों मनोयोगी पाँचों वचनयोगी जीवोंमें तीन शरीरवाले और चार शरीरवाले जीवोंका अन्तरकाल नाना जीवों और एक जीवकी अपेक्षा दोनों प्रकारसे नहीं है। काययोगी जीवोंमें दो शरीरवाले, तीन शरीरवाले और चार शरीरवाले जीवोंका भंग ओघके समान है। इतनी विशेषता है कि चार शरीरवालोंका एक जीवकी अपेक्षा उत्कृष्ट अंतर पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है। औदारिककाययोगी जीवोंमें तीन शरीरवालोंका अन्तरकाल कितना है ? नाना जीवोंकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और For Private & Personal Use Only
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