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५, ६, १६७.)
बंधाणुयोगद्दारे सरीरिसरीरपरूवणाए फोसणपरूवणा
( २६१
ते उक्काइयपज्जत्तएसु बिसरीर-तिसरीर-चदुसरीरेहि के० खेत्तं फोसिदं ? वट्टमाणे० लोग० असंखे० भागो, अदीदेण सव्वलोगो । बादरवाउ० पज्जत्तएसु चदुसरीरेहि के० खेत्तं फोसिदं ? वट्टमाणे ० लोग० असंखे० भागो, अदीदेण सव्वलोगो । बिसरीर- तिसरीहि के० खेत्तं फोसिदं ? वट्टमाणेण लोग० संखं० भागो, अदीदेण सव्वलोगो । बादरतेउक्काइय-बादरवाउक्काइयअपज्जत्त-सुहुमतेउ०- सुहुमवाउ०- तष्पज्जत्तापज्जताणं बिसरीर-तिसरीरेहि के० खेत्तं फोसिदं ? अदीद-वट्टमाणे० सव्वलोगो । एवं वणफदि- णिगोदजीवाणं तेसि चेव बादर - सुहुमपज्जत्तापज्जत्ताणं च वत्तव्वं । तस-तसपज्जत्ताणं पंचिदियपंचिदियपज्जत्ताणं भंगो ।
जोगाणुवादेण पंचवणजोगि पंचमचिजोगीसु तिसरीरेहि के० खेत्तं फोसिदं ? वट्टमाणेण लोग० असंखे० भागो, अदीदेण अट्ठ चोद सभागा देणा सव्वलोगो वा । चदुसरी रेहि के० खेत्तं फोसिदं ? वट्टमाणे० लोग० असंखे० भागो, अदीदेण सब्दलोगो । ओरालिका जोगीसु तिसरीरेहि के० खेतं फोसिदं ? अदीद-वट्टमाणेण सव्वलोगो । लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और अतीत कालकी अपेक्षा सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । बादर अग्निकायिक पर्याप्त जीवोंमें दो शरीरवालों तीन शरीरवालों और चार शरीरवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? वर्तमान कालकी अपेक्षा लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और अतीत कालकी अपेक्षा सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । बादर वायुकायिक पर्याप्त जीवोंमें चार शरीरवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? वर्तमान कालकी अपेक्षा लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और अतीत कालकी अपेक्षा सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? दो शरीरवालों और तीन उरीरवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है । वर्तमान कालकी अपेक्षा लोकके असंख्यातवें भागप्रमा णं और अतीत कालकी अपेक्षा सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । बादर अग्निकायिक अपर्याप्त, बादर वायुकायिक अपर्याप्त तथा सूक्ष्म अग्निMetfor और सूक्ष्म वायुकायिक तथा इन दोनोंके पर्याप्त और अपर्याप्त जीवों में दो शरीरवाले और तीन शरीरवालों जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? अतीत और वर्तमान कालकी अपेक्षा सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । इसी प्रकार वनस्पतिकायिक और निगोद तथा उनके बादर और सूक्ष्म तथा पर्याप्त और अपर्याप्त जीवोंके कहना चाहिए। त्रस और त्रस पर्याप्त जीवोंका भंग पंचेंद्रिय और पंचेंद्रिय जीवोंके समान है ।
योगमार्गणा अनुवादसे पांचों मनोयोगी और वचनयोगी जीवोंमें तीन शरीरवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? वर्तमान कालकी अपेक्षा लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और अतीत कालकी अपेक्षा त्रसनालीके कुछ कम आठ बटे चौदह भाग और सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । चार शरोरवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? वर्तमान कालकी अपेक्षा लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और अतीत कालको अपेक्षा सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । औदारिककाययोगी जीवों में तीन शरीरवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? अतीत और वर्तमान कालकी अपेक्षा सर्व लोकमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । चार प्रतिषु 'लोग० असंखे० भागो ' इति पाठः ।
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