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२६० ) छक्खंडागमे वग्गणा-खंडं
( ५, ६, १६७ सुहमेइंदियपज्जत्तापज्जत्तएसु बिसरीर-तिसरीरेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? अदीद-वट्टमाणे० सव्वलोगो। पंचिदिय-पंचिदियपज्जत्तएसु बिसरीर-तिसरीरेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? वट्टमाणेण लोग० असंखे० भागो, अदीदेण सव्वलोगो। तिसरीरेहि केव० खेत्तं फोसिदं? वट्टमाणेण लोगस्स असंखे० भागो असंखेज्जा भागा, सव्वलोगो वा*, अदीदेण अट्ठ चोद्दसभागा वा देसूणा सव्वलोगो वा । ___ कायाणुवादेण पुढवि०-आउ०-बादरपुढवि०-बादरआउ०-बादरवणप्फदिपत्तेयसरीरअपज्जत्त-सुहमपुढवि०-सुहुमआउ०-तप्पज्जत्तापज्जत्तएसु बिसरीर--तिसरीरेहि केवडियं खत्तं फोसिदं? अदीद-वट्टमाणेण सव्वलोगो। बादरपुढवि०-बादरआउ०-बादरवणप्फदिपत्तेयसरीरपज्जत्तएसु बिसरीरतिसरीरेहि के० खेत्तं फोसिदं? वट्टमाणे० लोग० असंखे० भागो, अदीदेण सव्वलोगो। तेउ०-वाउ-बादरतेउ०-बादरवाउकाइएसु बिसरीर-तिसरीरेहि के० खेत्तं फोसिदं ? अदीद-वट्टमाणे० सव्वलोगो। चदुसरोरेहि के० खेत्तं फोसिदं ? वट्टमाणे० लोग० असंखे० भागो, अदीदेण सव्वलोगो। बादरएकेन्द्रिय और उनके पर्याप्त और अपर्याप्त जीवोंमें दो शरीरवालों और तीत शरीरवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? अतीत काल और वर्तमान कालकी अपेक्षा सर्वलोक प्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। पंचेन्द्रिय और पंचेंद्रिय पर्याप्तकोंमें दो शरीरवालों और चार शरीरवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? वर्तमान कालकी अपेक्षा लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और अतीत कालकी अपेक्षा सर्वलोक प्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। तीन शरीरवालोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? वर्तमान कालकी अपेक्षा लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण, लोकके असंख्यात बहुभाग प्रमाण और सर्वलोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। तथा अतीत कालकी अपेक्षा त्रसनालीके कुछ कम आठ बटे चौदह भाग और सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है।
कायमार्गणाके अनुवादसे पृथिवीकायिक और जलकायिक तथा बादर पृथिवीकायिक बादर जलकायिक, बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येक शरीर तथा इन तीनोंके अपर्याप्त, सूक्ष्म पृथिवीकायिक, सूक्ष्म जलकायिक तथा इन दोनोंके पर्याप्त और अपर्याप्त जीवोंमें दो शरीर और तीन शरीरवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है? अतीत और वर्तमान कालकी अपेक्षा सर्व लोक. प्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। बादर पृथिवीकायिक पर्याप्त, बादर जलकायिक पर्याप्त औण बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येक शरीर पर्याप्त जीवोंमे दो शरीरवाले और तीन शरीरवाले जीवोंने कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? वर्तमान कालकी अपेक्षा लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और अतीत कालकी अपेक्षा सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया हैं। अग्निकायिक. वायकायिक, बादर अग्निकायिक और बादर वायुकायिक जीवोंमें दो शरीरवाले और तीन शरीरवाले जीवोन कितने क्षेत्रका स्पर्शन किया है ? अतीत और वर्तमान कालको अपेक्षा सर्व लोकप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। चार शरीरवालोने कितने क्षेन्नका स्पर्शन किया है ? वर्तमान कालकी अपेक्षा
ता. प्रतो' असखेज्जा भागा' इति पाठो नास्ति । * म० प्रतिपाठोऽयम् । अ० का प्रत्यो: चदुसरोरेहि के० खेत्तं फो? वट्टमाणेण लोग० संखे० भागो। असंखेज्जा भागा सवलोगो वा' इति पाठः। Bअ० प्रतौ ' आउ० बादरआ उ० ' इति पाठः।
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