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५, ६, १२६ )
बंधणाणुयोगद्दारे सरीरिसरीरपरूवणा
( २३१
जत्थ सरीरे एगो जीवो मरदि तत्थ अणंताणं चेव णिगोदजीवाणं मरणं होदि । अवहारणं कुदो लब्भदे ? दु सद्दस्स अवहारणटुस्स संबंधादो । संखेज्जा असंखेज्जा वा एक्को वा ण मरंति, णिच्छएण एगसरीरे णिगोदरासिणो अनंता चेव मरंति त्ति भणिदं होदि । जत्थ णिगोदसरोरे एगो जीवो वक्कमदि उप्पज्जदि तत्थ सरीरे अनंताणं चेव णिगोदजीवाणं वक्कमणं उप्पत्ती होदि । एगो वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा एक्कम्हि णिगोदसरीरे एक्कम्हि समए ण उप्पज्जंति किंतु अनंता चेव उप्पज्जंति त्ति भणिदं होदि । ते च एगबंधणबद्धा चेव होदूण उप्पज्जंति, अण्णहा पत्तेयसरीरवग्गणाए बादरसुहुमणिगोदवग्गणाए वा आणंतियप्पसंगादो। ण च एवं, तहाणुवभादो । बादरहुमणिगोदाणमवद्वाणक्कमपरूवणद्वमुत्तरसुत्तं भणदि
बादरसुहुमणिगोवा बद्धा पुट्ठा य एयमेएण ।
ते हु अनंता जीवा मूलयथूहल्लयादीहि ॥ १२६ ॥
एयसरी रद्विदबादरणिगोदा तत्थद्विदअण्णेहि बादरणिगोदेहि एग्सरीरट्ठिदसुहुमणिगोदा अण्णेहि तत्थ द्विदसुहुमणिगोदेहि बद्धा समवेदा संता अच्छंति । सो च
जिस शरीर में एक जीव मरता है वहां नियमसे अनन्त निगोद जीवोंका मरण होता है ।
शंका- इस स्थलपर अवधारण कहाँसे प्राप्त होता है ?
समाधान- गाथा सूत्रमें आये हुए 'दु' शब्दका अवधारण रूप अर्थके साथ सम्बन्ध है । संख्यात, असंख्यात या एक जीव नहीं मरते हैं, किन्तु निश्चयसे एक शरीरमें निगोद राशिके अनन्त जीव ही मरते हैं यह उक्त कथनका तात्पर्य है । तथा जिस निगोद शरीरमें एक जीव वक्कमदि अर्थात् उत्पन्न होता है उस शरीरमें नियमसे अनन्त निगोद जीवोंका 'वक्कमणं' अर्थात् उत्पत्ति होती है । एक, संख्यात और असंख्यात जीव एक निगोदशरीरमें एक समय में नहीं उत्पन्न होते हैं किन्तु अनन्त जीव ही उत्पन्न होते यह उक्त कथनका तात्पर्य है । वे एक बन्धनबद्ध होकर ही उत्पन्न होते हैं, अन्यथा प्रत्येक शरीरवर्गणा और बादर व सूक्ष्मनिगोदवर्गणा अनन्त प्राप्त होनेका प्रसंग आता है । परन्तु ऐसा है नहीं, क्योंकि, वैसी वे पाई नहीं जातीं । अब बादरनिगोद और सूक्ष्मनिगोदके अवस्थानके क्रमका कथन करनेके लिए आगेका सूत्र कहते हैं
बादरनिगोद जीव और सूक्ष्मनिगोद जीव ये परस्पर में बद्ध और स्पृष्ट होकर रहते हैं । तथा वे अनन्त जीव हैं जो मूली, थूवर और आर्द्रक आदिके निमित्तसे होते हैं ॥ १२६ ॥
एक शरीर में स्थित बादर निगोद जीव वहां स्थित अन्य बादर निगोद जीवोंके साथ तथा एक शरीर में स्थित सूक्ष्म निगोद जीव वहां स्थित अन्य सूक्ष्म निगोद जीवोंके साथ बद्ध अर्थात्
अ० प्रती 'हुदाद्दल्स' का० प्रती 'हुदाहस्स' इति पाठः ।
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