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५, ६, ११६ ) बंधणाणुयोगद्दारे अप्पाबहुअपरूवणा
(२१३ वग्गणाए पदेसा। कुदो ? सव्वजीवेहि अणंतगुणमेत्तएगजीवस्स कम्म-णोकम्मपदेसे दुविय असंखेजेहि लोगेहि तेसु गुणिदेसु पत्तैयसरीरवग्गणाणं सव्वपदेसुप्पत्तीए । महाखंधवग्गणाए सव्वपदेसा अणंतगुणा। को गुण ? अणंता लोगा। कुदो? उक्कस्सपत्तेयसरीरवग्गणं टुविय अणंतेहि लोगेहि सेडीए असंखे०भागेण अंगुलस्स असंखे०भागेण पलिदो० असंखे०भागेण जगपदरस्स असंखे० भागेण च गुणिदे महाखंधपदेसपमाणं होदि । पुणो एदम्हि पत्तेयसरीरवग्गणपदेसेहि ओवट्टिदे जं लद्धं तत्थ अणंतलोगाणमुवलंभादो। बादरणिगोदवग्गणासु णाणासेडिसव्वपदेसा असंखेज्जगुणा। को गुण० ? असंखेज्जा लोगा। तं जहा-एगजीवकम्म-णोकम्मपदेसे सव्वजीवेहि अणंतगुणे दृविय सव्वजीवरासिस्स असंखेज्जदिभागेण असंखेज्जेहि लोगेहि च गुणिदे बादरणिगोदवग्गणाए पदेसग्गं होदि । पुणो तम्हि महाखंधवग्गणपदेसग्गेण भागे घेपमाणे हेटिमएगजीवपदेसेहि सव्वजीवरासिस्स असंखे० भागेण च उवरिमएगजीवपदेसा सव्वजोवरासिस्स असंखेज्जभागो च सरिसो ति अवणिय सेसहेट्ठिमरासिणा सेसुवरिमरासिम्हि भागे हिदे असंखेज्जलोगमेत्तगुणगारो लब्भदि तेण असंखेज्जगुणा त्ति भणिदं। सुहमणिगोदवग्गणासु णाणासेडिसव्वपदेसा असंखेज्जगुणा* । को गुण ? असंखेज्जालोगा। कुदो बादरणिगोहितो
सबसे स्तोक हैं, क्योंकि, एक जीवके सब जीवोंसे अनन्तगुणे कर्म और नोकर्मके प्रदेशोंको स्थापित कर उन्हें असंख्यात लोकोंसे गुणित करने पर प्रत्येकशरीरवर्गणाओंके सब प्रदेशोंकी उत्पत्ति होती है। महास्कन्धवर्गणाके सब प्रदेश अनन्तगुणे हैं। गुणकार क्या है ? अनन्त लोक गुणकार है, क्योंकि, उत्कृष्ट प्रत्येकशरीरवर्गणाको स्थापित करके अनन्त लोकोंसे, जगश्रेणिके असंख्यातवें भागसे, अङगुलके असंख्यातवें भागसे, पल्यके असंख्यातवें भागसे और जगप्रतरके असंख्यातवें भागसे गुणित करने पर महास्कन्धके प्रदेशोंका प्रमाण होता है। पुनः इसमें प्रत्येकशरीरवर्गणाके प्रदेशोंका भाग देने पर जो लब्ध आवे उसमें अनन्त लोक उपलब्ध होते हैं। बादरनिगोदवर्गणाओं में नानाश्रेणि सब प्रदेश असंख्यातगुण हैं । गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है। यथा- सब जीवोंसे अनन्तगुणे एक जीवके कर्म और नोकर्मप्रदेशोंको स्थापित करके सब जीव. राशिके असंख्यातवें भागसे और असंख्यात लोकोंसे गुणित करने पर बादर निगोदवर्गणाके प्रदेशाग्र होते हैं। पुनः उसमें महास्कन्धवर्गणाके प्रदेशोंका भाग ग्रहण करने पर अधस्तन एक जीवके प्रदेशोंके साथ और सब जीवराशिके असंख्यातवें भागके साथ उपरिम एक जीवके प्रदेश और सब जीवराशिका असंख्यातवां भाग समान है, इसलिए घटा कर शेष अधस्तन राशिका शेष उपरिम राशिमें भाग देने पर असंख्यात लोकप्रमाण गुणकार लब्ध होता है, इसलिए असंख्यातगुणे हैं ऐसा कहा है। सूक्ष्मनिगोदवर्गणाओंमें नानाश्रेणि सब प्रदेश असंख्यातगुणे हैं। गुणकार क्या है ? असंख्यात लोक गुणकार है, क्योंकि, बादरनिगोदोंसे सूक्ष्मनिगोद असंख्यातगुणे हैं।
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* ता०प्रती 'सव्व पदेसा । अ.) संखेज्जगुणा' अ०का०प्रत्योः '-सव्वपदेसासंखेज्जगुणा' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only
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