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५, ६, ११६. ) बंधणाणुयोगद्दारे सेसाणुयोगद्दारपरूवणा ( १६९ अविरुद्धाइरियवयणादो । सुहमणिगोदवग्गणाए सव्वएगसेडिवग्गणाओ असंखेज्जगणाओ। को गुणगारो? पलिदोवमस्स असंखेज्जविभागो । महाखंधवग्गणाए सव्वएगसेडिवग्गणाओ असंखेज्जगणाओ। को गणगारो ? पदरस्स असंखेज्जदिभागो । तं जहा- सव्वएगसेडिसुहमणिगोदवग्गणाओ टुविय पदरस्स असंखेज्जदिभागेण गुणिदे तिस्से चेव उवरिमध्वसुण्णएगसेडिवग्गणसव्ववग्गणपमाणं होदि । पुणो तस्स हेट्ठा पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेत्तभागहारे ?विदे महाखंधसव्वएगसेडिवग्गणपमाण होदि । पुणो एत्थ सुहमणिगोदसव्वएगसेडिवग्गणाहि भागे हिदे पदरस्स असंखेज्जदिभागो गुणगारो आगच्छदि ति घेत्तव्वं । सुहमणिगोदवग्गणाए उवरि महाखंधदव्ववग्गणाए हेट्ठा चउत्थधुवसुण्णसव्वएगसेडिवग्गणाओ असंखेज्जगणाओ। को गणगारो? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। कारणं सुगमं । एवमेगसेडिवग्गणअप्पाबहुअं भणिदं।
___ संपहि णाणासेडिवग्गणप्पाबहुअं भणिस्सामो । तं जहा-सव्वत्थोवा महाखंधदव्ववग्गणाए दव्वा। कुदो? एगतादो। बादरणिगोदवग्गणाए दव्या असंखेज्जगुणा । को गुणगारो ? आवलियाए असंखेज्जदिभागो । तं जहा-बादरणिगोदवग्गणाओ वट्टमाणकाले अभवसिद्धियपाओग्गसव्वजहणवग्गणाए आवलियाए असंखेज्जदिभागमेत्तीयो सरिसधणियाओ लब्भंति । पुणो उवरि समयाविरोहेण विसेसाहियकमेण गंतूण जबमज्झटाणे वि आवलियाए असंखेज्जदिभागमेत्ताओ सरिसधणियवग्गणाओ
शंका-यह किस प्रमाणसे जाना जाता है ? समाधान-आचार्यों के विरोध रहित वचनसे जाना जाता है ।
सूक्ष्म निगोदवर्गणाकी सब एकश्रेणिवर्गणायें असंख्यातगुणी हैं। गुणकार क्या है? पल्यका असंख्यातवां भागप्रमाण गुणकार है । महास्कन्धवर्गणाकी सब एकश्रेणिवर्गणायें असंख्यातगणी हैं। गणकार क्या है? जगप्रतरका असंख्यातवां भागप्रमाण गुणकार है। यथा-सब एकश्रेणिसक्ष्मनिगोदवर्गणाओंको स्थापित कर जगप्रतरके असंख्यातवें भागसे गुणित करने पर उसकी आगेकी ध्रवशन्यएकश्रेणिवर्गणाकी सब वर्गणाओंका प्रमाण होता है । पुनः उसके नीचे पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण भागहारके स्थापित करने पर महास्कन्ध सब एकश्रेणिवर्गणाओंका प्रमाण होता है । पुनः यहां सूक्ष्म निगोद सब एकश्रेणिवर्गणाओंसे भाजित करने पर जगप्रतरके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार आता है ऐसा ग्रहण करना चाहिए । सूक्ष्म निगोदवर्गणासे आगे और महास्कन्धद्रव्यवर्गणासे पूर्व चौथी ध्रुवशून्य सब एकवेणि वर्गणायें असंख्यातगुणी हैं । गुणकार क्या है ? पल्यके असंख्यात भागप्रमाण गुणकार है । कारण सुगम है। इसप्रकार एकश्रेणिवर्गणाअल्पबहुत्व कहा।
अब नानाश्रेणिवर्गणाअल्पबहुत्वको कहेंगे । यथा- महास्कन्धद्रव्यवर्गणाके द्रव्य सबसे स्तोक हैं, क्योंकि, वह एक है । उनसे बादरनिगोदवर्गाके द्रव्य असंख्यातगुणे हैं। गुणकार क्या हैं? आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है । यथा-बादरनिगोदवर्गणायें वर्तमान काल में अभव्यप्रायोग्य सर्व जघन्य वर्गणाके आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण सदृश धनवाली प्राप्त होती हैं। पूनः ऊपर आगमाविरुद्ध विशेष अधिक क्रमसे जाती हुई यवमध्यमें भी सदृश धनवाली
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