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२०८ छक्खंडागमे वग्गणा-खंड
( ५, ६, ११६ तेसी को पडिभागो? असंखेज्जा लोगा। एवं णेयव्वं जाव धुवक्खंधवग्गणे त्ति । एवं पदमीमांसे त्ति समत्तमणुयोगद्दारं ।
अप्पाबहगं तिविहं-णाणासेडिदव्वददा णाणासेडिपदेसट्टदा एगसेडिणाणासेडिदवट्ठपदेसद्वदा चेदि । संपहि णाणासेडिदव्वद्वदप्पाबहुगं वुच्चदे। ते जहासव्वत्थोवा महाखंधदव्वग्गणाए दवा। कुदो ? एयत्तादो। बादरणिगोदवग्गगाए दव्वा णसंखेज्जगुणा । को गुणगारो ? आवलियाए असंखे०भागो । कुदो ? समाणवग्गणाओ मोत्तूण विसेसाहियवग्गणाणं चेव गहणादो। अथवा गुणगारो असंखेज्जा लोगा। कुदो ? वट्टमाणकालबादरणिगोदवग्गणाणं गहणादो। बादरणिगोदवग्गणाओ असंखेज्जलोगमेत्तीयो होति त्ति कुदो णव्वदे। अविरुद्धाइरियवयणादो जुत्तीए च । तं जहा-एक्किस्से वग्गणाए जहण्णण आवलियाए० असंखे० भागमेत्तपुलवियाओ होंति, उक्कस्सेण सेडीए असंखे० भागमेत्ताओ। एदाओ च ण पउरं लब्भंति । तेण आवलियाए असंखे०भागमेत्तपुलवियाहि वग्गणाणयणं कस्सामोआवलि० असंखे०भागमेत्तपुलवियाहि जदि एगा बादरणिगोदवरगणा लब्भदि तो असंखेज्जलोगमेत्तपुलवियासु केत्तियाओ बादरणिगोदवग्गणाओ लभामो ति पमाणेण फलगुणिदिच्छाए ओवट्टिदाए असंखेज्जलोगमेत्ताओ बादरणिगोदवग्गणाओ
है ? असंख्यात लोकप्रमाण प्रतिभाग है। इस प्रकार ध्रुवस्कन्धवर्गणाके प्राप्त होने तक ले जाना चाहिए । इस प्रकार पदमीमांसा अनुयोगद्वार समाप्त हुआ।
__ अल्पबहुत्व तीन प्रकार का है- नानाश्रेणिद्रव्यार्थता, नानाश्रेणिप्रदेशार्थता और एकश्रेणिनानाश्रेणिद्रव्यार्थता-प्रदेशार्थता । अब नानाश्रेणिद्रव्यार्थता अल्पबहुत्वको कहते हैं। यथामहास्कन्धद्रव्यवर्गणाका द्रव्य सबसे स्तोक है, क्योंकि, वह एक है। बादरनिगोदवर्गणाके द्रव्य असंख्यातगुणे हैं। गुणकार क्या है ? आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है, क्योंकि समान वर्गणाओंको छोडकर विशेष अधिक वर्गणाओंको ही यहाँ पर ग्रहण किया है। अथवा गुणकार असंख्यात लोकप्रमाण है। क्योंकि, वर्तमान कालकी बादरनिगोदवगणाओंका ग्रहण किया है।
शंका- बादरनिगोदवर्गणायें असंख्यात लोकप्रमाण हैं यह किस प्रमाणसे जाना जाता है?
समाधान- अविरुद्ध आचार्योंके वचनसे और यक्तिसे जाना जाता है। यथा- एक वर्गणामें जघन्यसे आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण पुलवियां होती हैं और उत्कृष्टसे जगश्रेणिके असंख्यातवें भागप्रमाण होती हैं। किन्तु ये प्रचुरमात्रामें उपलब्ध नहीं होती है, इसलिए आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण पुलवियोंके द्वारा वर्गणाओंको लाते हैं- आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण पुलवियोंके आलम्बनसे यदि एक वादरनिगोदवर्गणा प्राप्त होती है तो असंख्यात लोकप्रमाण पुलवियोंमें कितनी बादरनिगोदवर्गणायें प्राप्त होगी, इस प्रकार फलराशिसे गणित इच्छाराशिमें प्रमाणराशिका भाग देनेपर असंख्यात लोकप्रमाण बादरनिगोदवर्गणायें प्राप्त होती
* ता०का०प्रत्योः '-खधदव्ववाणाए दव्व असंखेज्जगुणा' इति पाठः ।
ॐ अ-आप्रत्योः 'सखेज्ज' इति पाठः । Jain Education International
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