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छक्खंडागमे वग्गणा-खंड जहणिया बादरजुम्मं; दुसंखत्तादो । उक्कस्सिया तेजोजो; रूवूणकदजम्मपमाणतादो । संखेज्जपदेसियसव्ववग्गणसलागाओ बादरजम् ; दुरूवुकदजुम्मपमाणत्तादो वग्गणाओ पुण च उढाणपदिवाओ । असंखेज्जपदेसियदव्यवग्गणाओ जहणिया कदजुम्मं जहण्णपरितापंखेज्जपमाणतादो । उकस्सिया तेजोजो; रूवणकदजुम्मपमाणत्तादो । असंखेज्जपदेसियवग्गणसलागाओ कदजम्मं; जहणपरित्तासंखेज्जेण ऊणजहण्णपरित्ताणंतपमाणत्तादो । वम्गणाओ पुण चउट्ठाणपदिदाओ । एवं सव्वाओ वग्गणाओ णेदवाओ। णवरि महाखंधदब्धवग्गणा जहणिया कदजुम्मं । उक्कस्सिया वि कवजुम्मं । महाखंधवग्गगसलागाओ कलिओजो वग्गणाओ पुण चउढाणपदिदाओ।
__णाणासेडिओजजम्माणगमेण परमाणपोग्गलदव्ववग्गणा किमोजो कि जम्म? जहणिया कदजुम्मं । उक्कस्सिया वि कदजुम्म । कुदो ? एदं णव्वदे? आइरियपरं. परागदसुत्ताविरुद्धगुरूवदेसादो । अजहण्णअणुक्कस्सियाए चत्तारि वियप्पा । एवं
यव्वं जाव धुवखंधदक्वग्गणे ति । उवरिमसेसवग्गणासु जहग्णिया कलिओजो; एगत्तादो। उक्कस्सिया तेजोजो । मज्झिमाए चत्तारि वियप्पा। णवरि महाखंधदव्ववग्गणाए जाणासेडी पत्थि; सम्वकालं सरिसधणियबहुवग्गणाभावादो । एवं ओजजम्माणुगमो त्ति समत्तमणुयोगद्दारं । प्रमाण दो है । उत्कृष्ट संख्यातप्रदेशी द्रव्यवर्गणा तेजोज है, क्योंकि, वह एक कम कृतयुग्मप्रमाण है। संख्यातप्रदेशी सब वर्गणाशलकायें बादरयुग्म है, क्योंकि, वे दो कम कृतयुग्मप्रमाण हैं । परन्तु वर्गणायें चतुःस्थानपतित हैं। जघन्य असंख्यातप्रदेशी द्रव्यवर्गणा कृतयुग्म है, क्योंकि, वह जघन्य परीतासंख्यातप्रमाण है । उत्कृष्ट असंख्यातप्रदेशी द्रव्यवर्गणा तेजोज है, क्योंकि, वह एक कम कृतयुग्मप्रमाण है। असंख्यातप्रदेशो वर्गणाशलाकायें कृतयुग्म है, क्योंकि, वे जघन्य परीतसंख्यात कम जघन्य परोतानन्तप्रमाण हैं । परन्तु वर्गणायें चतुःस्थानपतित हैं । इसी प्रकार सब वर्गगाओंके विषय में जानना चाहिए । इतनी विशषता हैं कि जवन्य महास्कन्धद्रव्यवर्गणा कृतयुग्म है तथा उत्कृष्ट महास्कन्ध द्रव्यवर्गणा भी कृतयुग्म है महास्कन्धवर्गण, शलाकायें कलिओजरूप हैं। परन्तु वर्गणायें चतु:स्थानपतित हैं।
नानाश्रेणिओजयुग्मानुगमकी अपेक्षा परमाणुपुद्गलद्रव्यवर्गणा क्य ओजरूप है या क्या युग्मरूप है ? जघन्य कृतयुग्मरूप है तथा उत्कृष्ट भी कृतयुग्मरूप है ।
शका-यह किस प्रमाणसे जाना जाता है ? समाधान-अचार्य परम्परासे हुए सूत्राविरुद्ध गुरुके उपदेशसे जाना जाता है ।
अजघन्य-अनुत्कृष्ट वर्गणाके चार भेद हैं। इस प्रकार ध्रुवस्कन्ध द्रव्यर्गणा तक जानना चाहिए। उपरिम शेष वर्गणाओंमें जघन्य वर्गणा कलिओजरूप है, क्योंकि, वह एक है। उत्कृष्ट वर्गणा तेजोजरूप हैं और मध्यकी वर्गणायें चारों प्रकारकी हैं। इतनी विशेषता है कि महास्कन्धद्रव्यवर्गणाकी नानाश्रेणि नहीं है, क्योंकि, सर्वदा सदृश धनवाली बहुत वर्गणाओंका अभाव है।
इसप्रकार ओजयुग्मानुगम अनुयोगद्वार समाप्त हुआ।
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