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बंधणाणुयोगद्दारे बादरणिगोददव्ववग्गणा ( १०९ एगपरमाणुविस्तासुवचयपमाणेणणावत्थाए विस्तासुवचयसंजत्तेगपरमाणुम्हि वडिदे णिरंतरं होदूण अण्णमपुणरुत्तट्टाणं होदि । पुणो अण्णेगोरालियविस्तासुवचयपरमाणुम्हि वडिदे अण्णमपुणरुत्तढाणं होदि । एवमेगेगविस्तासुवचयपरमाण वडावेदव्या जाव सव्वजीवेहि अणंतगणमेत्ता विस्सासुवचयपरमाण वढिदा ति । एवं वढिदे एत्तियगि चेव अपुणरुत्तढाणाणि सेचीयादो लद्धाणि होति । एवमण विहाणेण विस्पासुव वयसहियएगेगपरमाण वड्ढावेदव्या जाव एगबादरणिगोदजीवस्स ओरालियसरीरम्हि जत्तिया ओरालियसरीरविस्सासुवचयसहियपरमाण अस्थि तत्तियमेत्ता वड्डिदा त्ति। एवं वढिदे पुणो तेजा-कम्मइयपरमाण विस्तासुवचयसहिया वड्ढावेददा। पुणो पुवविहाणेणेगो जोवो पवेसियम्वो। एवं जाव पलिदोवमस्त असंखेजदिभागमेता जीवा वड्ढावेदश्वा । पणो सवेसि जीवाणं परमाणपोग्गलेसु विस्सासुवचय० परमाणुपोग्गलेसु बढिदेसु विसेसाहियमरणचरिमसमय उक्कस्सफड्डयं । पुणो एत्थ आव. लियाए असंखेज्जदिमागमेत्तपुलवियाओ एक्केक्कपुलवियाए असंखेज्जलोगमेत्तणिगोदसरीराणि । एक्केम्मि णिगोदसरीरे अणंताणंतजीवा । एक्केक्कस्स जीवस्स ओरालिय-तेजा-कम्मइयसरीरपरमाण ( सविस्सासुवचय ) सव्वजोवेहि अणंतगुणमेता अस्थि । एत्तियमेतदव्वं घेतग विसेसाहियमरणचरिमसमयफड्डयं होदि । एवमोदारिदे आवलियाए असंखेज्जदिभागमैतफड्डयाणि लद्धाणि होति । संपहि एत्तो हेट्ठा ओदारिज्जमाणे एगं चेव फड्डयं होदि । कुदो ? विसे साहियमरणर्चारमफड्डएण सह सयंभूरमणदीवस्त सयंपहगिंदस्स है । पुनः अन्य एक औदारिकशरीर विस्रसोपचय परमाणुकी वृद्धि होने पर अन्य अपुनरुक्त स्थान होता है । इस प्रकार सब जीवोंसे अनन्तगुणे क्सिसोपचय परमाणुओंकी वृद्धि होने पर एक एक विस्रसोपचय परमाणु बढाना चाहिए । इस प्रकार वृद्धि होने पर से चीयरूपसे इतने ही अपूनरुक्त स्थान लब्ध होते हैं। इस प्रकार एक बादर निगोद जीवके औदारिकशरीरमें जितने औदारिकशरीरके विस्रसोपचयसहित परमाणु हैं उतने मात्र वृद्धि होने तक विस्रसोपचयसहित एक एक परमाणु बढाना चाहिए। इस प्रकार वृद्धि होने पर पुन: तैजसशरीर और कार्मणशरीरके परमाणु विस्रसोपचयसहित बढाने चाहिए । पुनः पूर्व विधिसे एक जीवका प्रवेश कराना चाहिए । इस प्रकार पल्यके असंख्यातवें भागमात्र जीव बढाने चाहिए, पुनः सब जीवोंके परमाणु पुद्गलों के विनसोपच पसहित बढ़ने पर विशेष अधिक मरणके अन्तिम समयमें उत्कृष्ट स्पर्धक होता है । पुन: यहां आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण पुलवियां हैं । एक एक पुलविमें असंख्यात लोकप्रमाण निगोदशरीर हैं । एक एक निगोदशरीर में असन्तानन्त जीव हैं और एक एक जीवके औदारिक, तैजस और कार्मणशरीरके परमाणु विस्र सोपचयसहित सब जीवोंसे अनन्तगुणे हैं । इतने मात्र द्रव्यको ग्रहण कर विशेष अधिक मरण के अन्तिम समयका स्पर्धक होता है । इस प्रकार उतारने पर आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण स्पर्धक लब्ध होते हैं । अब इससे नीचे उतारने पर एक ही स्पर्धक होता है, क्योंकि, विशेष अधिक मरणके अन्तिम स्पर्धकके साथ स्वयंभूरमण द्वीपके स्वयंप्रभ नगेन्द्र की बाह्य दिशामें कर्मभूमिके प्रतिभागमें मूल, थूवर और
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