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प्रश्न-तीर्थकर किसे कहते हैं ? । उत्तर-जो तीर्थकी स्थापना करें उन्हें तीर्थङ्कर कहते हैं । तीर्थ दो प्रकार
के हैं :-द्रव्यतीर्थ और भावतीर्थ । इनमें द्रव्यतीर्थसे नदियाँ आदि पार की जा सकती हैं और भावतीर्थसे संसार-सागर पार हो सकते हैं । अरिहन्त ऐसे ही भावतीर्थकी स्थापना करते हैं, इसलिये उन्हें तीर्थङ्कर कहते हैं । भावतीर्थ अर्थात् साधु, साध्वी,श्रावक और
श्राविकाका बना हुआ चतुर्विधसङ्घ, प्रवचन अथवा प्रथम गणधर । प्रश्न-स्वयंसम्बुद्ध किसे कहते हैं ? उत्तर-जो गुरूपदेशके बिना अपने आप ही सम्पूर्ण बोध प्राप्त किये हुए
हों, उन्हें स्वयंसम्बुद्ध कहते हैं। प्रश्न-अरिहन्त भगवानोंकी वन्दना-स्तुति करनेका विशेष कारण क्या है ? उत्तर--अरिहन्त भगवानोंकी वन्दना-स्तुति करनेका विशेष कारण यह है
कि वे पुरुषोत्तम हैं, पुरुष--सिंह हैं, पुरुष-वरपुण्डरीक हैं तथा
पुरुष-वरगन्धहस्ती हैं। प्रश्न-पुरुषोत्तम किसे कहते हैं ? उत्तर-जो पुरुषोंमें उत्तम हों। अरिहन्त ज्ञानादि-गुणोंसे सब पुरुषोंमें
उत्तम होते हैं। प्रश्न-पुरुष-सिंह किसे कहते हैं ? उत्तर-जो पुरुषोंमें सिंहके समान निर्भय हो। अरिहन्त भगवान् सिंहके
समान निर्भय होकर सत्य धर्मकी गर्जना करते हैं । प्रश्न-पुरुष-वरपुण्डरीक किसे कहते हैं ? उत्तर-जो पुरुषोंमें श्रेष्ठ-कमलके समान निर्लेप हो । अरिहन्त भगवान्
संसारमें उत्पन्न होनेपर भी संसारके भोगोंमें आसक्त न हो कमल
पत्रके समान निलिप्त रहकर पवित्र-जीवन व्यतीत करते हैं । प्रश्न-पुरुष-वरगन्धहस्ती किसे कहते हैं ?
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