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दुष्प्रमार्जित-शय्या-संस्तारक, अप्रतिलेखित-दुष्प्रतिलेखित-उच्चारप्रस्रवणभूमि, अप्रमार्जित-दुष्प्रमाजित-उच्चार-प्रस्र वणभूमि और
अनुपालना। प्रश्न-अतिथि-संविभाग-व्रतका अर्थ क्या है ? उत्तर-साधुओंको निर्दोष आहार-पानी बहोरनेका व्रत । प्रश्न--इस व्रतमें कितने अतिचार लगते हैं ? उत्तर-पाँच:-सचित्तनिक्षेप, सचित्तविधान, परव्यपदेश, मात्सर्य और
कालातिक्रमदान। प्रश्न-इस प्रकार श्रावक कुल कितने अतिचारोंका प्रतिक्रमण करता है ? उत्तर-१२४ अतिचारोंका, उनमें ५+५ + ५ + ५+५+५ + २० +
५+५+५+५+ ५ मिलकर ७५ अतिचार बारह व्रत सम्बन्धी
होते हैं और ४९ अतिचार दूसरे होते हैं । प्रश्न-४९ अतिचारोंको गणना किस तरह होती है ? उत्तर-ज्ञानाचारके ८, दर्शनाचारके ८, चारित्राचारके ८, तपाचारके
१२, वीर्याचारके ३, सम्यक्त्वके ५ और संलेखनाके ५, इस प्रकार
कुल ४९ 1x प्रश्न-सम्यक्त्वके पाँच अतिचार कौनसे हैं ? उत्तर--शङ्का, काङ्क्षा, विचिकित्सा, कुलिङ्गीप्रशंसा और कुलिङ्गी
संस्तव । प्रश्न--संलेखनाके पाँच अतिचार कौनसे हैं ? उत्तर-इहलोकाशंसा-प्रयोग, परलोकाशंसा-प्रयोग, जीविताशंसा-प्रयोग,
मरणाशंसा-प्रयोग और कामभोगाशंसा-प्रयोग । प्रश्न-~-अतिचारोंकी शुद्धि के लिये श्रावक क्या करे ? उत्तर---प्रतिक्रमण ।
x अतिचार विचारनेकी गाथामें पञ्चाचारके ३९ अतिचारोंका वर्णन आ जाता है।
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