________________
२८१ आयंबिल-आयंबिल, आयामाम्ल । पाणहार - दिवसचरिमं - पाणअथवा आचामाम्ल।
हार नामका दिवस चरिम आयाम-मांड ( धोवन )।
प्रत्याख्यान। आम्ल-कॉजी अथवा खट्टा पानी।
पाणहार-पानीके आहारकी जो चावल, उड़द और जब
छट थी उसका प्रत्याख्यान । आदिके भोजनमें जिसका
दिवस चरिम-जो दिनके (इन दो वस्तुओंका) मुख्य
अवशिष्ट भागमें तथा सारी उपयोग होता है, उसको
रातके लिये किया जाता आगमकी भाषामें आयंबिल
है, वह दिवस - चरिम कहते हैं।
प्रत्याख्यान ।
देसावगासियं -देशावकाशिक-व्रत अब्भत्तटुं-उपवासको।
सम्बन्धी। अब्भत्तट्ठ-जिसमें भोजन कर- उवभोगं परिभोगं - उपभोग नेका प्रयोजन न हो।
परिभोगको।
-
अर्थ-सङ्कलना
(१) नवकारसी सूर्योदयसे दो घड़ीतक नमस्कार-सहित मुष्टि-सहित नामका प्रत्याख्यान करता है। उसमें चारों प्रकारक आहारका अर्थात् अशन, पान, खादिम और स्वादिमका अनाभोग, सहसाकार, महत्तराकार और सर्व-समाधि-प्रत्ययाकार-पूर्वक त्याग करता है।
( २ ) पोरिसी और साड्ढपोरिसी सूर्योदयसे एक प्रहर ( अथवा डेढ़ प्रहर ) तक नमस्कार-सहित मुष्टि-सहित प्रत्याख्यान करता है। उसमें चारों प्रकारके आहारका अर्थात् अशन, पान, खादिम और स्वादिमका अनभोग, सहसाकार,
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
___www.jainelibrary.org