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सूत्र
[ इस समय मुहपत्तोके एक भागको प्रतिलेखना होती है अर्थात् उसके एक ओरके भागका बराबर निरीक्षण किया जाता है। ] - २. फिर उसको बाँये हाथपर रखकर बाँये हाथमें पकड़ा हुआ कोना दाँये हाथमें पकड़ो और दाँये हाथमें पकड़ा हुआ कोना बाँये हाथमें पकड़कर फिर सामने लाकर मनमें बोलो कि :
अर्थ, तत्त्व करी सद्दहु। [ सूत्र और अर्थ दोनोंको तत्त्वरूप अर्थात् सत्यस्वरूप समझू और उसकी प्रतीति करके उसपर श्रद्धा करूं । उस समय मुहपत्तीके दूसरे भागकी प्रतिलेखना होती है अर्थात् मुहपत्तीके दूसरे भागका बराबर निरीक्षण किया जाता है। ]
३. फिर मुहपत्तोका बाँये हाथकी ओरका भाग तीन बार हिलाओ, उस समय मनमें धीरेसे बोलो कि :सम्यक्त्वमोहनीय, मिश्रमोहनीय, मिथ्यात्वमोहनीय परिहरू।
[ दर्शनमोहनीय-कर्मकी तीन प्रकृतियाँ दूर करने योग्य हैं, अर्थात् मुहपत्ती यहाँ तीन बार हिलायी जाती है।]
४. फिर बाँये हाथपर मुहपत्ती रख, पलटकर, दाँये हाथकी ओरका भाग तीन बार हिलाओ। उस समय मनमें बोलो कि :
कामराग, स्नेहराग, दृष्टिराग परिहरू। [ तीनों प्रकारके राग दूर करने योग्य हैं अर्थात् मुहपत्ती यहाँ तीन बार हिलायी जाती है।]
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