Book Title: Panchpratikramansutra tatha Navsmaran
Author(s): Jain Sahitya Vikas Mandal Vileparle Mumbai
Publisher: Jain Sahitya Vikas Mandal

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Page 628
________________ फूलकी जाली, फूलके गजरे, फूलको कलगी, फूलके हार-तुरे, तेल, इत्र आदिका परिमाण निश्चित करना वह 'पुष्पभोग-नियम'। ८ वाहन-नियम- रथ, हाथी, घोड़ा, ऊँट, खच्चर, पालकी गाड़ा-गाड़ी, टमटम-तांगा, सायकल, मोटर, रेल्वे, आगबोट, ट्राम, बस, विमान आदि एक दिनमें इतने से अधिक नहीं वापरना, निश्चय करना वह 'वाहन-नियम' । ९ शयन-नियम-खाट, खटिया, कुर्सी, कोच, गादी, तकिया, गदला, गोदड़ा, तथा पाट प्रमुखका दिवस-सम्बन्धी नियम करना, वह 'शयन-नियम' । १० विलेपन-नियम-विलेपन तथा उबटनके योग्य द्रव्यजैसे कि चन्दन, केशर, कस्तूरी, अबीर, अरगजा तथा पीठी आदि द्रव्योंके परिमाणका दिवस-सम्बन्धी नियम करना, वह 'विलेपननियम'। ११ ब्रह्मचर्य-नियम-दिनमें अब्रह्मका सेवन नहीं करना। वह श्रावकके लिये वर्ण्य है। तथा रात्रिकी यतना करनी आवश्यक है, उसके परिमाणका नियम करना, वह 'ब्रह्मचर्य-नियम' । १२ दिग-नियम-भावना और प्रयोजनके अनुसार दसों दिशाओंमें जाने-आनेका परिमाण वह 'दिग्-नियम' । १३ स्नान-नियम-दिनमें इतनी बारसे अधिक नहीं नहाना तत्सम्बधी नियम-'स्नान-नियम' । यहाँ श्रीजिनेश्वरादिकी भक्ति आदिके निमित्तसे स्नान करना पड़े तो उसमें नियमका बाध नहीं होता। १४ भक्त-नियम-दिवस-सम्बन्धी आहारका परिमाण निश्चित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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